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एक बार तुझे देखा है ....

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चांदनी रात में, एक बार तुझे देखा है  खुद पे इतराते हुए, खुद से शर्माते हुए   चांदनी रात मे....   नीले अम्बर पे कही झूले मे   सात रंगो के हसी झूले मे   नाज़-ओ-अंदाज़ से लहराते हुए   खुद पे इतराते हुए, खुद से शर्माते हुए   एक बार तुझे देखा है ....   जागती थी लेके साहिल पे कही   लेके हाथो मे कोई साज़-इ-हसी   एक रंगीन ग़ज़ल गाते हुए   फूल बरसाते हुए, प्यार छलकाते हुए   एक बार तुझे देखा है ....   खुलके बिखरे जो महकते गेसू   घुल गइ जैसे हवा मे कुशबू   मेरी हर सांस तो महकाते हुए   खुद पे इतराते हुए, खुद से शर्माते हुए   एक बार तुझे देखा है ....   तूने चहरे पे झुकाया चहरा मैने हाथो से छुपाया चहरा   लाज से शर्म से घबराते हुए   फूल बरसाते हुए, प्यार छलकाते हुए   एक बार तुझे देखा है ....