कौन कहता है कि कोई भी आता नहीं कभी मरकर

दस्तक फ़िर क्यूँ दे रहा, कोई दिल को रह-रह कर, और नफ़्स बन दौड़ रहा, रग-रग मेरे लहू बन कर, जबकि सुना है कोई भी, आता नहीं कभी मर कर.. - अभय सुशीला जगन्नाथ कौन कहता है कि कोई भी आता नहीं कभी मरकर दस्तक फिर ये किसकी है दिल में मेरे रह - रह कर और नफ़्स बन दौड़ रहा है, रग-रग मेरे लहू बन कर - अभय सुशीला जगन्नाथ