मैं रहूंगा फिजाओं में

मैं रहूंगा फिजाओं में, और इन हवाओं में मैं जनता हूं मेरे हमनफ़स अपनी हर खता पर हो सके तो भूल के मेरी उन खताओं को याद रखना दुआओं में, मेरी बा-वफाओं में शायद, बिना बोले भी जो तुम अंतिम बार मुझसे बोलना चाहते थे वो मैने तुम्हारे लिए लिख दिया राजन, अब और नहीं लिखा जाता तुम वैसे भी अपनी मां के बेटे थे, इसलिए और जल्दी में उनके पास चल दिए... मां जी के साथ जहां रहो खुश रहो... ईश्वर तुमको मां के साथ श्री चरणों में जगह दें आंसू रुक नहीं रहे ... - अभय सुशीला जगन्नाथ