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सिंदूरी पराक्रम का हाला जाए

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माना कि हम युद्ध नहीं बुद्ध के हैं वंशज कलयुग में कृष्ण को कैसे संभाला जाए गर मांग और आंचल सुना करेगा पड़ोसी तो रण में सिंदूरी पराक्रम का हाला जाए                                         - अभय सुशीला जगन्नाथ  बुद्ध पूर्णिमा पर वाहिद अली वाहिद को नई पंक्तियों की श्रद्धांजलि ✍️ "तू भी है राणा का वंशज फेंक जहां तक भाला जाए"                                                       - वाहिद अली वाहिद  Tribute to Wahid Ali Wahid on Budh Purnima with New Lines ✍️ #BuddhaPurnima #Buddha #Geeta #Krishna #Mahabharat #India #Indian #OperationSindoor #VahidAliVahid #Lucknow #Poet #बुद्धपूर्णिमा #बुद्ध #गीता #कृष्ण #महाभारत #भारत #भारतीय #ऑपरेशनसिंदूर #वाहिदअलीवाहिद #लखनऊ #शायर

रहबर ना होगा कोई भी तुम सा दोनों जहां में ऐ माँ

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ता हद-ए-नज़र आ रहा है बियाबान सा जो यहाँ  बिन तेरे वीरानी होगी यकीनन ख़ुदा के घर वहाँ  निज़ाम-ए-हस्ती चलाने वाली इकलौती यहां-वहां  रहबर ना होगा कोई भी तुम सा दोनों जहां में ऐ माँ All I see to the edge of sight, appears like a desolate land... Without you, even Heaven, itself would feel so abandoned... The only one... Who runs the system, of life and the existence, No guide like you exists, in this world or the next, O Mother ! Sssooo Grand !                                             - Abhay Sushila Jagannath  #MothersDay #Mother #Day #मातृदिवस #मातृ #दिवस  #Ma #माँ #Mom #माता #Bebe #बेबे #Ammi #अम्मी #Mummy #मम्मी #Amma #अम्मा  #माई #आई #इया #मईया #मैया #TheMother  #HappyMothersDay #MothersDaySpecial #MothersDayQuotes

सिन्दूर

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मेरे लश्कर में शहीद-ए-वतन का नूर होगा... उजड़े सुहागिनों की मांग का सिन्दूर होगा  #OperationSindur #ऑपरेशनसिन्दूर                                                                        - अभय सुशीला जगन्नाथ  

तमाम शब का थका - जगा

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मैं तमाम शब का थका हुआ, तू तमाम शब का जगा हुआ, आज मौका भी है दस्तूर भी, जन्मदिन पर तेरे कुछ यार हो, ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,  कि दोस्तों साथ शाम गुज़ार हो... सुनेंगे तेरी हर बात, और बात-बात पर, मुस्काने का खिलखिलाता गीत, सब के उन्मुक्त हंसी ठहाकों पर, यादगार लम्हों का मधुर संगीत... शाम की मौशिकी से शुरू करेंगे, कुछ पुराने बीते अफ़साने, तेरी दीवानगी और मेरी आशिक़ी के, फ़िर वही दिलकश तराने, लाली भईया के जन्मदिन पर,  आवारा निकलेंगे आवारगी करते,  इक खुशनुमा रात बिताने...                                             - अभय सुशीला जगन्नाथ  

कौन कहता है कि कोई भी आता नहीं कभी मरकर

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दस्तक फ़िर क्यूँ दे रहा, कोई दिल को रह-रह कर, और नफ़्स बन दौड़ रहा, रग-रग मेरे लहू बन कर, जबकि सुना है कोई भी, आता नहीं कभी मर कर..                                                - अभय सुशीला जगन्नाथ  कौन कहता है कि कोई भी आता नहीं कभी मरकर  दस्तक फिर ये किसकी है दिल में मेरे रह - रह कर  और नफ़्स बन दौड़ रहा है, रग-रग मेरे लहू बन कर                                                      - अभय सुशीला जगन्नाथ 

चल केमिस्ट्री कैन्टीन

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सुना है गुज़रे ज़माने कभी लौट कर आते नहीं  चल केमिस्ट्री कैन्टीन तुझे उससे मिला लाते हैं  मुस्कान लबों पे पहले फ़िर ख़यालात आते हैं  यूं रोज़ाना बचपन के जमाने हमें याद आते हैं                                                 - अभय सुशीला जगन्नाथ  

"वायु" बन अल्हड़ "युवा"

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बचपन से हमारे तुम्हारे,  कुछ याद जुडे हैं ऐसे, "वायु" बन अल्हड़ "युवा" , आसमानों उड़े हैं जैसे... कहीं इलाहाबादी "युवा" और संग आवारा "वायु"  Finding fellow, is “easy”, in an old snap... Though “easier”, Dreaming in nap... Rather “easiest”, in beats, if heartiest chap ! For whom... emotions overwhelm  My Friend Pandit ! You are "The One" of them...                                             - Abhay Sushila Jagannath