तमाम शब का थका - जगा
मैं तमाम शब का थका हुआ,
तू तमाम शब का जगा हुआ,
आज मौका भी है दस्तूर भी,
जन्मदिन पर तेरे कुछ यार हो,
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,
कि दोस्तों साथ शाम गुज़ार हो...
सुनेंगे तेरी हर बात, और बात-बात पर,
मुस्काने का खिलखिलाता गीत,
सब के उन्मुक्त हंसी ठहाकों पर,
यादगार लम्हों का मधुर संगीत...
शाम की मौशिकी से शुरू करेंगे,
कुछ पुराने बीते अफ़साने,
तेरी दीवानगी और मेरी आशिक़ी के,
फ़िर वही दिलकश तराने,
लाली भईया के जन्मदिन पर,
आवारा निकलेंगे आवारगी करते,
इक खुशनुमा रात बिताने...
- अभय सुशीला जगन्नाथ
तू तमाम शब का जगा हुआ,
आज मौका भी है दस्तूर भी,
जन्मदिन पर तेरे कुछ यार हो,
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,
कि दोस्तों साथ शाम गुज़ार हो...
सुनेंगे तेरी हर बात, और बात-बात पर,
मुस्काने का खिलखिलाता गीत,
सब के उन्मुक्त हंसी ठहाकों पर,
यादगार लम्हों का मधुर संगीत...
शाम की मौशिकी से शुरू करेंगे,
कुछ पुराने बीते अफ़साने,
तेरी दीवानगी और मेरी आशिक़ी के,
फ़िर वही दिलकश तराने,
लाली भईया के जन्मदिन पर,
आवारा निकलेंगे आवारगी करते,
इक खुशनुमा रात बिताने...
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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