Posts

Showing posts from August, 1977

Pandit

सजी नहीं बरात तो क्या, आई न मिलान की रात तो क्या, ब्याह किया तेरी यादों से, गठबंधन तेरे वादों से, बिन फेरे हम तेरे, बिन फेरे हम तेर...  एक दर्द भरी आवाज़ में यह गाना, कई दिनों बाद, पहली बार किशोर दा के आवाज़ से अलग, एक सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल मित्र की आवाज़ में सुना... एक दूसरे सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल मित्र को अमेरिका की फ्लाइट पकड़ाने जाते समय ! सन 2000 की ठंडी में कोहरों के बीच मारुती ओमिनी में, यकीन मानिये वो तेज़ाब के " सो गया ये जहाँ " से भी रूहानी लग रहा था ! गाने की एक एक इमोशनल लाइन हमारे मित्र गाते जा रहे थे, और बाकी मैं और दूसरे दो और मित्र, रात के 12 बजे दिल्ली की सड़को पर उस गाने में हवाई यात्रा की उड़ान-मंजिल; एयरपोर्ट की जगह , सब के सब अपनी अपनी यादों की उड़ान भर रहे थे, और सन्नाटे में चीरती हुयी उनकी दर्द भरी आवाज़ गाने की एक एक लाइन के साथ सफर को भी इमोशनल बनाते जा रही थी ! तीन तीन राउंड वह गाना पंडित जी ने हम लोगों बार बार अनुरोध करने पर सुनाया ! गाना सुनाने वाले सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल मित्र एक इलाहाबादी थे, उनसे मिलवाने वाले मित्र हमारे क्लासमेट थे और जिनको हम छोड़ने जा रहे थे व