Pandit Rowettash
When I am me & myself, My Smartness reaches mountain’s height, I throw at them the very mountain, Who are jealous of that sight …। कभी घर आना, आज भी बहुत ताज़ा रखा है, गुलदान ने तुम्हारा मुस्कुराना... - पंडित - मुस्कान क्यों है गुलदान में , बीते लम्हों की मेहर , क्यों नहीं ये भी जाती, खुश्बुओं सी बिखर ... - अभय सुशीला जगन्नाथ तेरी मुस्कान, आज भी क्यों है, बसी उस गुलदान, आकर उसे भी बिखेर दो, हवाओं में उस ज़िन्दगी की, जिसमे अब ना रही, सुगंध-ए-खुशनुमा मुस्कान ! - अभय सुशीला जगन्नाथ , ज़िन्दगी खुश्बुओं से, और ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ, इस वीरानेपन में बिखर गयी, तुम पास आकर क्या म...