Pandit Rowettash
When I am me & myself,
My Smartness reaches mountain’s height,
I throw at them the very mountain,
Who are jealous of that sight …।
कभी घर आना,
आज भी बहुत ताज़ा रखा है,
गुलदान ने तुम्हारा मुस्कुराना...
- पंडित -
मुस्कान क्यों है गुलदान में ,
बीते लम्हों की मेहर ,
क्यों नहीं ये भी जाती,
खुश्बुओं सी बिखर ...
- अभय सुशीला जगन्नाथ
ज़िन्दगी खुश्बुओं से,
और ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ,
इस वीरानेपन में बिखर गयी,
तुम पास आकर क्या मुस्कराये !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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लाख चाहता हूँ तुझे याद न करूँ,
चाहत ऐसी कि रोज़ यही इरादा करूँ
- पंडित
लाख चाहता हूँ तुझे याद न करूँ,
और बेबसी कहे यही इरादा न करूँ
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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जहाँ मिलकर फिऱ बिछड़ने का,
कोई बन्दिश ए रिवाज ना हो,
ले चल फिर तू मुझे अपने संग वहां,
जहाँ सिर्फ हमारा कल हो,आज ना हो
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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एक मैं, जो लबों से कुछ नहीं कह पता हूँ,
एक तुम, जो आँखों से सब बयां कर देती हो
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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शुभ रात्रि का सन्देश भी खूब है ,
नींद लाये तो सब भुला देती है,
और नींद न लाये तो,
रात भर सब याद दिलाती है
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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ख्यालों के रहगुज़र से वो गुज़रते रहते हैं
ख़ामोशी में भी वो बहुत कुछ कहते हैं
ये दोस्त के दुआओं का असर है
वो यादों के झरोखों से हवा से बहते रहते हैं
- अभय सुशीला जगन्नाथ
My Smartness reaches mountain’s height,
I throw at them the very mountain,
Who are jealous of that sight …।
कभी घर आना,
आज भी बहुत ताज़ा रखा है,
गुलदान ने तुम्हारा मुस्कुराना...
- पंडित -
मुस्कान क्यों है गुलदान में ,
बीते लम्हों की मेहर ,
क्यों नहीं ये भी जाती,
खुश्बुओं सी बिखर ...
- अभय सुशीला जगन्नाथ
तेरी मुस्कान,
आज भी क्यों है,
बसी उस गुलदान,
आकर उसे भी बिखेर दो,
हवाओं में उस ज़िन्दगी की,
जिसमे अब ना रही,
सुगंध-ए-खुशनुमा मुस्कान !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
,- अभय सुशीला जगन्नाथ
ज़िन्दगी खुश्बुओं से,
और ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ,
इस वीरानेपन में बिखर गयी,
तुम पास आकर क्या मुस्कराये !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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लाख चाहता हूँ तुझे याद न करूँ,
चाहत ऐसी कि रोज़ यही इरादा करूँ
- पंडित
लाख चाहता हूँ तुझे याद न करूँ,
और बेबसी कहे यही इरादा न करूँ
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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जहाँ मिलकर फिऱ बिछड़ने का,
कोई बन्दिश ए रिवाज ना हो,
ले चल फिर तू मुझे अपने संग वहां,
जहाँ सिर्फ हमारा कल हो,आज ना हो
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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एक मैं, जो लबों से कुछ नहीं कह पता हूँ,
एक तुम, जो आँखों से सब बयां कर देती हो
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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शुभ रात्रि का सन्देश भी खूब है ,
नींद लाये तो सब भुला देती है,
और नींद न लाये तो,
रात भर सब याद दिलाती है
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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ख्यालों के रहगुज़र से वो गुज़रते रहते हैं
ख़ामोशी में भी वो बहुत कुछ कहते हैं
ये दोस्त के दुआओं का असर है
वो यादों के झरोखों से हवा से बहते रहते हैं
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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