माँ !
वो कल्पना थी,
वही अब अहसास है,
वो आस्था थी,
वही अब विश्वास है,
वो मंदिर थी,
वही अब भगवान् है,
वो आरती थी,
वही अब अज़ान है,
वो खूबसूरती थी,
वही अब ताज़गी है,
वो सपना थी,
वही अब सच्चाई है,
मुझे समझ आई अब रानाई है,
वही अब अहसास है,
वो आस्था थी,
वही अब विश्वास है,
वो मंदिर थी,
वही अब भगवान् है,
वो आरती थी,
वही अब अज़ान है,
वो खूबसूरती थी,
वही अब ताज़गी है,
वो सपना थी,
वही अब सच्चाई है,
मुझे समझ आई अब रानाई है,
माँ !
तुझसे हुई जब शनासाई है !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
तुझसे हुई जब शनासाई है !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
Comments
Post a Comment