जवानी लिखते हैं
उठा कर पुराने कुछ कोरे कागज़,
चल एक रंगीन कहानी लिखते हैं,
अल्लहड़-ओ-आवारगी भरी तेरी-मेरी,
आवारा दीवानगी को जवानी लिखते हैं
शाम-ओ-सहर के अपने वो चर्चे,
शब-ए-महफ़िल के तेरे वो किस्से,
कहानी वो रूमानी-ओ-रूहानी लिखते हैं
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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