तमन्नाओं की महफ़िल है, सपनो का यह शहर है, वरना इस मशरूफियत मे, कभी कभी यूं लगता है, ज़िंदगी एक मीठा ज़हर है, जैसे एक लंबे सफर की, न शब है कोई, न सहर है __________________________________ बेवफाई का जब शबब पूछा दुनिया ने, हम क्या कहते और क्या बतलाते, बस लिख दिया... अल्फ़ाजों को पढ़ने वाले, अहसासों को कहां समझ पाते ___________________________________ तेरी आंखों में मैंने, हसीन ख्वाब है देखा, चली आ हथेली में लिए, मेरी वो भग्यशाली रेखा ___________________________________ तेरी आंखों में मैंने, हसीन ख्वाब है देखा, चली आ हथेली में लिए, मेरी वो खुशकिस्मत रेखा