माँ

हक़्क़ शम्स "सा नू र",
हक़्क़ आशना शरमाया चाँद,
गोया खुदा "सा नू र "

              -    - अभय सुशीला जगन्नाथ

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फिरता रहा दर बदर,
जानने को ,
तेरे नूर का राज़ -ए-असर ,
आकर तुझ पर,
मेरी आवारगी बे-असर,
निज़ाम-ए-हस्ती जो चला रहा,
बदस्तूर ...
माँ तेरा ये नूर
           
                - अभय सुशीला जगन्नाथ 

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