दुआ कर रहे हैं आपके लिए, मैं और मेरी आवारगी !

मैं और मेरी आवारगी,
अक्सर अकेले में सोचते हैं !

क्या हसीं होगा वो समां,
मिले होंगे दो दिल जहाँ,
पहले अरमान चहके होंगे,
फिर जज़्बात बहके होंगे,
मिली होंगी आँखों से आँखें,
दो दिल बहुत धड़के होंगे,
खोये एक दूजे के संग,
रंगे दोनों एक प्रेम रंग,

उस हसीं पल की,
खूबसूरत हसीन रौशनियां,
रौशन करती रही होंगी,
आपकी खूबसूरत दुनिया,

जिस खूबसूरती से
खुदा ने होगा आपको संवारा,
उस से भी खूबसूरती से,
आपने होगा संवारा,
एक दूजे का जीवन प्यारा,
आपका साथ कभी न छूटा,
जाने कितना रिश्ता टूटा,

कभी आपके आंसू जो गिरे,
मोतियों सा संभालने वो दौड़ फिरे,
जाने कौन सी होगी
वो बंधन की डोर,
जिसको तोड़ने के लिए,
आजतक दुनिया ढूंढ रही छोर,
जब आज तक न दिखे कभी वो सिरे,
झुंझलाकर दुनिया ने आपको नाम दिया,
जुनूनी, दीवाने या फिर सरफिरे,

एक दूजे की होगी,
आपको बेइंतहा चाह,
जिसने दिया होगा,
आपको मुश्किलों में राह,
दुनिया की आप दोनों ने,
जो ना की होगी परवाह,
और दिया एक दूजे के साथ,
और एक दूजे का निबाह

नज़र न लगे, खुदाया ये संग,
खुदा करे पसंद आये आपको,
सालगिरह के ये खुशनुमा रंग,

सोचते हैं अकेले में जो,
मैं और मेरी आवारगी !

अब खुदा करे मेरी दुआ स्वीकार,
और ले चले आपको सपरिवार,
गम के अंधेरे बादलों के पार,
निकाले उस इंद्रधनुष को,
जिसमे हैं रंग कई हज़ार,
ले आये खुदा जाकर,
इंद्रधनुषी रंगों के सारे फूल,
और फूलों से आती उन खुश्बुओं सा,
खुशनुमा कर दे आपका जीवन संसार,
दे इतनी खुशियां की हो एक बानगी,
दुआ कर रहे हैं आपके लिए,
मैं और मेरी आवारगी !

                            अभय सुशीला जगन्नाथ

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