छुप छुप कर मुझे पढ़ते हो?


छुप छुप कर क्यों पढ़ते हो,
ज़ज़्बातों को अल्फाजो में मेरे,
शायद ढूंढते रहते हो,
कि ज़ाहिर तो नहीं कर रहा,
शायर-ए-फ़ितरत अदाओं को तेरे,

ये दिल में अब तुम भी गढ़ लो,
जो तेरा ज़िक्र कर रहा है,
उस दीवाने दिल को पढ़ लो,
ये क्या !
पहले अक्षर में ही गुम हो !
गौर से पढ़ो,
आखिरी सांसो तक तुम हो …

                          - 
अभय सुशीला जगन्नाथ
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छुप छुप कर मुझे पढ़ते हो?

 "उफ" मुझ पर यु भी नजर रखते हो !

छुप छुप कर क्यों पढ़ते हो,
शायरी में अल्फाजो को मेरे…
सीधे दोस्त का दिल ही पढ़ लो,
ये क्या !
पहले अक्षर में ही गुम हो …
गौर से पढ़ो
आखिरी सांसो तक तुम हो ...

तेरी इबादत से दुआ मिलता रहता है,
सब ठीक है दिल भी अब यही कहता है

                                           अभय सुशीला जगन्नाथ

सुना है बड़े गौर से देखते हैं वो तस्वीर हमारी,
शायद उसमे जान डालने का इरादा है उनका ...

वो तो वैसे भी बोलती है,
शायद तुझे पता नहीं,
खामोश तस्वीर भी तेरी,
मेरे लिए लब खोलती है ...

                     अभय सुशीला जगन्नाथ

शायराना सी है ज़िन्दगी की फ़ज़ा,
आप भी ज़िन्दगी का मज़ा लीजिये,
मैं ग़ज़ल बन गया आपके सामने ,
शौक से अब मुझे गुनगुना लीजिये ...

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तेरा FB पर रियेक्ट करना और फिर हटा देना,
बचपन में खिलौना देने और छीन लेने सा लगता है

                                                     
मत घबरा ए दोस्त,
मैं जानता हूँ तेरे दिल में
मेरे लिए सबसे ज्यादा दुआएं बसती हैं,
शायद इसलिए दुनिया मुझसे जलती है
   
                                                 अभय सुशीला जगन्नाथ
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जब कभी आइना देखता हूँ .
तब तेरा चेहरा मेरी आँखों में दिखता है दोस्त,
कभी कभी नहीं ,तू हर वक़्त याद आता है,
क्यूंकि अक्सर मैं आईने के सामने STYLE में रहता हूँ

                                                            अभय सुशीला जगन्नाथ

अब तो कुछ भी न बचा,
जो हुआ ना इन आँखों से बयां,
दो आँखें के इशारे से, बयां दोनो जहां
       
                                         अभय सुशीला जगन्नाथ











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