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Showing posts from May, 2019

नव यौवन की दहलीज़

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अब की सावन की घटाएं, बदली बदली सी नज़र आती है, तुझपर कुछ लिखने को, बेताब सी कर जाती हैं, जाने कितने मौसम चले गए, पर चौदवीं के सावन की वो बूंदे, वो तेरी पहली बारिश, मेरे ज़ेहन में यादों की, घनघोर बारिश कर जाती है, आ चल इस सावन ले चले तुझे, उसी चौदवीं के सावन में, जहाँ मैं और मेरी आवारगी, आवारा हवाओं-घटाओं के संग, बस यूँ ही, अक्सर चली जाती है ! एक भोली और मासूम, नाज़ुक सी लड़की, नव यौवन की दहलीज़ पर, मुस्कुराती है, खिलखिलाती है, मासूमियत से भरे अल्हड़पन में, इठलाती है, बलखाती है, और आईने पे खड़ी हो जाती है, अब हर रोज़ वो खुद को, उस आईने में निहारती है, और विस्मित हो जाती है, दिन-ब-दिन निखरते यौवन पर, वो बस यूँ ही शरमा जाती है ! पर उस बेशरम आइने को, शरम कभी ना आती है ! भीगे बालों को झटक कर, बिना शाना के, दाएं बाएं शानो पर, एक अदा से घुमाती है, तौबा खुदा ! बादलों से जैसे बारिश गिराती है, और भीगी ज़ुल्फ़ों से खुद को, संवारती है , सजाती है, उन बादलों के बीच से आईने में, इंद्रधनुषी रूप को निहारती है, फिर अपना हुस्न-ए-मिसाल देख, खुद से ही शरमा जाती है  ! पर उस

Diva Divined

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Every morning is as beautiful, As your face ! Every day is as shining, As your grace ! Every evening is as fragrant, As your vase ! Every night is as romantic, As your embrace ! Hey ! You are Ace! Will you mind, If I Say, You are one-in-million find... Beautifully designed, As if , Diva divined                       - Abhay Sushila Jagannath ---------------------------------------------------------- Will you mind, If I Say, You are one-in-million find... Beautifully designed, As if , Diva divined                     - Abhay Sushila Jagannath

मुस्कुराये, और चल दिए...

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आप आये , मुस्कुराये, और चल दिए, जलाकर अनगिनत, ख़्वाबों के दीये, वही मुस्कान, दिल में लिए, मैं और मेरी आवारगी, चल दिये, उसी राह पर, जो कभी तुमने बताया था, हमारे ख्वाबों की, मंजिल के लिए , जब कभी थक गए, तो आपकी हसीन मुस्कान, याद कर लिए, मुस्कुराये, और फिर चल दिए ...                              - अभय सुशीला जगन्नाथ

अवध बिहारी भये उषा के राजा

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मंगल भवन अमंगल हारी, भये भगदतपुरम् में अवध बिहारी, मंदार पर्वत से प्रभु अवतारी, लम्बे बांके जैसे साक्षात् त्रिपुरारि ! सुनयना, सुशीला, सुन्दर और प्यारी, भोजपुर की उषा एक सुकुमारी, प्रेम किरण डाल मोह लिहिन राजा को, अवध बिहारी भये प्रेम पुजारी ! उषा प्रेम प्रकाश जब अवध में आयो, बिहारी संग उषा सबही को भायो, उषा किरण बिखरी चहू ओरा, कहे बिहारी मन मोह लिहिन् मोरा, उषा भयी जो खुशहाल उमंगा, सूर्य दैदीप्यमान आयो उदयन संगा, बाल रूप पुनः पायो अवध बिहारी, उषा के मुख आयो मुस्कान एक प्यारी ! अवध में फिर उत्सव है जारी, प्रेम प्रकाश से एक टक निहारी, अवध बिहारी को उषा सुकुमारी, एक दूजे के मन को अति भायो, पुष्प वर्षा से उषा-अवध कुञ्ज नहायो, चारों दिशाओं बजे ढोल मृदंगा, नन्ही परी आयी अवध के अंगना, कल कल खिल खिल हंसी जैसे गंगा, तेज ऐसो जैसे उषा का कंगना, हिमालय पर्वत की शिखा सुनयना, उषा अवध के राधा का क्या कहना, परी-अप्सरा सब गए लजाई, अइसन रूप न देख्यो गोंसाई, मुस्कान लिए सरस्वती है आई, सबके मन को अत्यंत ही भाई ! सियाराम सुफल किये सब काजा, अवध बिहारी भये उ

Is it you ? or Humming Music !

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Beats to Heart, Wings to Mind, Dreams to Eyes, Life to Live… Is it you ? or Humming Music ! दिल को धड़कन, सोच को उड़ान, आँखों को सपने, जीवन को ज़िन्दगी... तुम हो ? या गुनगुनाता संगीत !                      -  Abhay Sushila Jagannath ------------------------------------------------------------------------------ मत घबरा ए दोस्त, मैं जानता हूँ, तेरे दिल में मेरे लिए, सबसे ज्यादा दुआएं बसती हैं, इसीलिए मेरी आंखे आंसू लिए भी हंसती है                                                         - अभय सुशीला जगन्नाथ ------------------------------------------------------------------------------- मैं तुमको चाँद कहूं ये मुमकिन तो है, पर कोई रात भर देखे तुमको , ये गवारा नहीं मुझको                                 ----POST लोग देखे तुमको, ये गंवारा नहीं जिसको, उस हर शक्श की, मजबूरी है ये, वो कुछ कहे भी तो किसको, सितारों के दरम्यान, चाँद एक ही तो है                          - अभय सुशीला जगन्नाथ

Humming Music !

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Beats to Heart, Wings to Mind, Dreams to Eyes, Life to Live… Is it you ? or Humming Music !                     - Abhay Sushila Jagannath दिल को धड़कन, सोच को उड़ान, आँखों को सपने, जीवन को ज़िन्दगी... तुम हो ? या गुनगुनाता संगीत !                    - अभय सुशीला जगन्नाथ