ईद की मुबारकबाद !

हर शक्श को रहेगा रात भर,
ईद के चाँद का इंतज़ार,
कुछ दिन छत का रुख,
न करिएगा ऐ जनाब !
वरना देख चेहरा तेरा लाजवाब,
देने लगेंगे एक दूजे को मुबारकबाद,
और जब असल चाँद नज़र आएगा,
तो और बढ़ता जायेगा वाद-विवाद,
आपको  कोई कहेगा माहताब,
तो कोई कहेगा आफताब _ _ _

ईद की अग्रिम मुबारकबाद !

                          - अभय सुशीला जगन्नाथ

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रात भर हर शक्श को रहा,
ईद के चाँद का इंतज़ार,
देख चेहरा तेरा लाजवाब,
देने लगे एक दूजे को मुबारकबाद,
जब अस्ल चाँद नज़र आया,
और बढ़ता गया वाद विवाद,
तुमको कोई कहे माहताब,
तो कोई कहे आफताब _ _ _

                                 - अभय सुशीला जगन्नाथ

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