बचपना और गलतफहमियां


बचपन के प्यार को,
एक बचपना समझ,
इस कदर ग़लतफ़हमी में,
जीते रहे हम,
तेरी आदत ही तो मेरा प्यार था,
इस हकीकत से अब जाकर,
रूबरू हुए हम !
तेरी आँखों से तेरी,
हर एक बात समझता था,
अपनी खुशफहमियों,
और तेरी हकीकत के,
हर एक जज़्बात समझता था ,
तेरी भी कुछ मजबूरियां थी,
तू बेवफा नहीं बा-वफ़ा थी,
मैं तेरे हर हालात समझता था,
तेरे बिना गुजरे जो पल,
शायद हकीकत थे,
तेरे संग गुजारे वो लमहे,
शायद मेरी गलतफहमियां,
" तेरे बिना हम मर जाएंगे "
एक दूजे से जो करते थे वादा,
देख ज़िंदा हूँ मैं भी,
और ज़िंदा है तू भी,
हकीकत से रूबरू हुयी,
हम दोनों की गलतफहमियां !

                                   - अभय सुशीला जगन्नाथ


बचपन से इनायत,
ज़िन्दगी भर नहीं बदलेंगी ...
आदत !

            - अभय सुशीला जगन्नाथ


बचपन से इनायत,
ज़िन्दगी भर नहीं बदलेंगी ...
आदत !
इबादत !
और मोहब्बत !

        - अभय सुशीला जगन्नाथ










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