ता उम्र के लिए सबसे हसीन ख्यालात !

चाँद से चाहा जो करना मुलाक़ात ,
सितारों ने टक टकी लगा दी पूरी रात,
ख्वाहिशें जो बची खुची थी,
चली गयी हसीन सपनों के साथ,
पर दिलकश रहा,
रातभर ये अहसास,
तेरे ना होकर भी होने का खयालत,
कभी तुम हंसती,
कभी हैरान होती,
और मुस्करा कर पूछती,
जिस खूबसूरत चाँद के साथ,
चमकते सितारे रहते हैं दिन रात,
तू और तेरी आवारगी,
करने चले उस चाँद से मुलाक़ात !
पता है ! इस पूरे वाक़ये में क्या रहा ख़ास,
चाँद खुद अंधेरे में आकर मेरे पास,
दे गया मेरी आवारगी को,
खुद पर विश्वास करने का ज़ज़्बात,
ता उम्र के लिए,
सबसे हसीन खयालत !

                                                - अभय सुशीला जगन्नाथ


हिमालय पर्वत कि सुनयना शिखा,
चाँद से चाहा जो करना मुलाक़ात ,
सितारों ने टक टकी लगा दी पूरी रात,
ख्वाहिशें जो उसकी बची खुची थी,
चली गयी हसीन सपनों के साथ,
पर दिलकश रहा,
रातभर चाँद का अहसास,
शिखा के ना होकर भी,
साथ होने का खयालत !

उस बेखयाली में,
कभी वो हंसती,
कभी हैरान होती,
और मुस्करा कर खुद से पूछती,
जिस खूबसूरत चाँद के साथ,
चमकते सितारे रहते हैं दिन रात,
तू और तेरी आवारगी,
करने चले उस चाँद से मुलाक़ात !

पता है ! इस पूरे वाक़ये में,
क्या रहा ख़ास,
चाँद खुद अंधेरे में,
सितारों को चकमा दे,
आ गया सुन्दर शिखा के पास,
और दे गया उसकी आवारगी को,
प्रेम पर विश्वास करने का ज़ज़्बात,
ता उम्र के लिए,
सबसे हसीन खयालत !

                              - अभय कुमार राय 

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