खुदा भी तेरा मुरीद निकला !

निकला जो चाँद,
आवारा हो गए सितारे,
बेपर्दा हुए जब हुस्न-ए-जनाब ,
शर्मा कर छुप गए सारे के सारे,
क्या हसीन चाँद और क्या सितारे !

तौबा तेरे जलवे,
तौबा तेरे नज़ारे,
खुदा भी तेरा मुरीद निकला,
आशिक़ तो मरे,
बे-औकात बेचारे !

                  - अभय सुशीला जगन्नाथ

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कभी सोचा नहीं कि कहाँ जाना है,
तेरे तस्सवुर में बैठे रहने में,
दिली सुकून जो मिला

                       - अभय सुशीला जगन्नाथ

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एक दिया करता है रौशन,
अंधेरे में मेरा छोटा सा गुलशन,
खुदा हुज़ूर है या तेरा नूर है,
अब तलक है उलझन ...

                         - अभय सुशीला जगन्नाथ

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हमने जो कह दिया,
बेइंतहा खूबसूरत हैं गुलाब,
मोहतरमा ने गुस्से से,
उठा दिया नक़ाब ....

                       - अभय सुशीला जगन्नाथ 

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