" कुछ नहीं "
वो हंसती रहती है,
यदा कदा गुस्साती भी है,
और कभी कभी अक्सर,
बेवजह गुमसुम हो जाती है,
और फिर पूछने पर,
" कुछ नहीं " बोल बस मुस्काती है !
चुपचाप करती है बातें,
फिर उसकी ये खामोशियाँ,
चुपचाप सुनती है बातें,
फिर उसकी ही तन्हाईयाँ,
बेचैन सी हर सांस,
अन्जाना सा एहसास,
शायद दस्तक देती रहती है,
दिल में यादों की अंगड़ाइयां !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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वो हंसती रहती है,
यदा कदा गुस्साती भी है,
और कभी कभी अक्सर,
बेवजह गुमसुम हो जाती है,
और फिर पूछने पर,
" कुछ नहीं " बोल बस मुस्काती है,
चुपचाप करती है बातें,
फिर उसकी ये खामोशियाँ,
चुपचाप सुनती है बातें,
फिर उसकी ही तन्हाईयाँ,
बेचैन सी हर सांस है,
अन्जाना सा एहसास है
- अभय सुशीला जगन्नाथ
यदा कदा गुस्साती भी है,
और कभी कभी अक्सर,
बेवजह गुमसुम हो जाती है,
और फिर पूछने पर,
" कुछ नहीं " बोल बस मुस्काती है !
चुपचाप करती है बातें,
फिर उसकी ये खामोशियाँ,
चुपचाप सुनती है बातें,
फिर उसकी ही तन्हाईयाँ,
बेचैन सी हर सांस,
अन्जाना सा एहसास,
शायद दस्तक देती रहती है,
दिल में यादों की अंगड़ाइयां !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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वो हंसती रहती है,
यदा कदा गुस्साती भी है,
और कभी कभी अक्सर,
बेवजह गुमसुम हो जाती है,
और फिर पूछने पर,
" कुछ नहीं " बोल बस मुस्काती है,
चुपचाप करती है बातें,
फिर उसकी ये खामोशियाँ,
चुपचाप सुनती है बातें,
फिर उसकी ही तन्हाईयाँ,
बेचैन सी हर सांस है,
अन्जाना सा एहसास है
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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