दोस्त, दोस्ती और दोस्ताना
जन्मदिन तो आते जाते रहेंगे,
पर वो हसीन ख्यालात,
और उनमें आपका साथ,
ता उम्र हम सजा के रखेंगे,
वो लम्हात,
ज़िन्दगी भर जो तुमने दिया,
दोस्त, दोस्ती और दोस्ताना,
मेरा बहुमूल्य सौगात !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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अपने हसीं लब की मुस्कान से,
ग़मज़दा चेहरे को रफ़ू न करों,
आँखों के रस्ते आज भी हम,
तेरे दिल का हाल जान लेते हैं
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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तेरी आंखें मुझे किताब सी लगती है,
बंद हो तो एक ख़ामोशी,
खुल जाये तो अनगिनत अफ़साने
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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तेरा वज़ूद एक किताब सा है,
समझने वालों के लिए अल्फ़ाज़,
बंद हो तो एक ख़ामोशी समेटे
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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तू एक किताब सी है,
बंद, शांत और खामोश,
पढ़ कर समझने के लिए,
ज्ञान की देवी, सरस्वती !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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- अभय सुशीला जगन्नाथ
जायदादों को हमने कभी,
बंटते नहीं देखा,
जायदाद के नाम पर,
रिश्ते ज़रूर बंटते रहे,
सुंदरता कब्र और शमशान में रही,
पाकीज़ा रूह छंटते रहे
- अभय सुशीला जगन्नाथ
पर वो हसीन ख्यालात,
और उनमें आपका साथ,
ता उम्र हम सजा के रखेंगे,
वो लम्हात,
ज़िन्दगी भर जो तुमने दिया,
दोस्त, दोस्ती और दोस्ताना,
मेरा बहुमूल्य सौगात !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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अपने हसीं लब की मुस्कान से,
ग़मज़दा चेहरे को रफ़ू न करों,
आँखों के रस्ते आज भी हम,
तेरे दिल का हाल जान लेते हैं
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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तेरी आंखें मुझे किताब सी लगती है,
बंद हो तो एक ख़ामोशी,
खुल जाये तो अनगिनत अफ़साने
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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तेरा वज़ूद एक किताब सा है,
समझने वालों के लिए अल्फ़ाज़,
बंद हो तो एक ख़ामोशी समेटे
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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तू एक किताब सी है,
बंद, शांत और खामोश,
पढ़ कर समझने के लिए,
ज्ञान की देवी, सरस्वती !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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जायदादों को हमने कभी,
बंटते नहीं देखा,
जायदाद के नाम पर,
रिश्ते ज़रूर बंटते रहे,
"फानी" जिस्म कब्र-वो-श्मशान में बटते रहे,
पाकीज़ा रूह छंटते रहे !- अभय सुशीला जगन्नाथ
जायदादों को हमने कभी,
बंटते नहीं देखा,
जायदाद के नाम पर,
रिश्ते ज़रूर बंटते रहे,
सुंदरता कब्र और शमशान में रही,
पाकीज़ा रूह छंटते रहे
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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