नैनो से इश्क़ का नशा !
नैनो ने इश्क़ का वो नशा गढ़ा,
साकी, मैखाना और शराब,
किसी का न फिर नशा चढ़ा !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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नैनो ने इश्क़ का,
क्या हसीन नशा गढ़ा,
किसी का न फिर,
कभी कोई नशा चढ़ा,
साकी, मैखाना और शराब,
सब यूँ ही तकते रह गए,
मंजिल-ए-सफर की ओर,
ले कर तू मुझे कुछ ऐसा बढ़ा !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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तेरे नैनो ने जाने क्या नशा गढ़ा,
फिर उम्र भर न कोई नशा चढ़ा
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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तेरे नैनो ने इश्क़ क्या गढ़ा,
हर नशा फिर फीका पड़ा
- अभय सुशीला जगन्नाथ
साकी, मैखाना और शराब,
किसी का न फिर नशा चढ़ा !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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नैनो ने इश्क़ का,
क्या हसीन नशा गढ़ा,
किसी का न फिर,
कभी कोई नशा चढ़ा,
साकी, मैखाना और शराब,
सब यूँ ही तकते रह गए,
मंजिल-ए-सफर की ओर,
ले कर तू मुझे कुछ ऐसा बढ़ा !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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तेरे नैनो ने जाने क्या नशा गढ़ा,
फिर उम्र भर न कोई नशा चढ़ा
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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तेरे नैनो ने इश्क़ क्या गढ़ा,
हर नशा फिर फीका पड़ा
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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