नैनो से इश्क़ का नशा !

नैनो ने इश्क़ का वो नशा गढ़ा,
साकी, मैखाना और शराब,
किसी का न फिर नशा चढ़ा !

                        - अभय सुशीला जगन्नाथ

--------------------------------------------

नैनो ने इश्क़ का,
क्या हसीन नशा गढ़ा,
किसी का न फिर,
कभी कोई नशा चढ़ा,
साकी, मैखाना और शराब,
सब यूँ ही तकते रह गए,
मंजिल-ए-सफर की ओर,
ले कर तू मुझे कुछ ऐसा बढ़ा !

                              - अभय सुशीला जगन्नाथ

----------------------------------------------

तेरे नैनो ने जाने क्या नशा गढ़ा,
फिर उम्र भर न कोई नशा चढ़ा

                                  - अभय सुशीला जगन्नाथ

--------------------------------------

तेरे नैनो ने इश्क़ क्या गढ़ा,
हर नशा फिर फीका पड़ा

                        - अभय सुशीला जगन्नाथ 

Comments

Popular posts from this blog

राधा-कृष्ण ! प्रेम के सात वचन !

परी-सुरसुन्दरी, अप्सरा-देवांगना

बिन फेरे हम तेरे