परी

चाँद से उतर कर ज़मीन पर,
एक खूबसूरत परी आयी है,
आज तक आसमां ने उसके लिए,
चमकते सितारे बिछा रखे हैं

                           - अभय सुशीला जगन्नाथ


मैं शब्द रखता हूँ,
वो ज़ज्बात उठाती है,
मेरे कोरे कागज़ों पर,
किसी कविता सी उतर जाती है,
पर पूरी कविता में भी,
वो कहाँ खरी उतरती है,
उसके विस्तार को समझ,
ज़ेहन में यही बात उभरती है,
रोज़ रोज़ भला जन्नत से,
कहाँ ऐसी परी उतरती है !

             - अभय सुशीला जगन्नाथ

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अपने हसीन लब की मुस्कान से,
ग़मज़दा चेहरे को रफ़ू न करों,
आँखों के रस्ते आज भी हम,
तेरे दिल का हाल जान लेते हैं ...

                             - अभय सुशीला जगन्नाथ


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When the moon,
Is shining in the sky,
You are the brightest star,
Of my life ...
Angel ! Good Night !

                      - Abhay Sushila Jagannath 


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