सावन में बारिश क्यों होती है !

वैसे तो तुमने,
दादी नानी और माँ से,
बहुत सी कहानियां,
सुनी होगी,
पर चलो आज मैं तुम्हे,
एक कहानी सुनाता हूँ,

बहुत समय पहले,
धरती पर,
भीषण अकाल पड़ा,
लोग दाने दाने को,
तरस गए,
ऐसा लगा जैसे,
प्रलय आ गया,
तब धरा के लोगों ने,
प्रलयंकारी शिव की,
आराधना और पूजा,
शुरू कर दी,
महीनो की कठिन पूजा से,
शिव प्रसन्न हुए,
और अपनी जटा से,
गंगा की अविरल धारा,
धरती की और मोड़ दिया,
और उसी गंगा के किनारे,
धन धान्य से परिपूर्ण,
काशी नगरी बसाई,
गंगा के किनारे बसे लोग,
ख़ुशी से झूम उठे,

परन्तु जो गंगा से,
दूर दराज़ के लोग थे,
वो भगवान् शिव से,
शिकायत करने लगे,
तब धरती के,
सर्व जन कल्याण हेतु,
शिव ने शक्ति को, 
धरती पर भेजने की,
तैयारी शुरू की,
और भक्त अपने को,
सौभाग्यशाली मान,
उनकी कठिन पूजा,
करने में लग गए,
पर जब शक्ति,
धरती पर आने को,
तैयार हो रही थी,
तब सब देवी देवता,
परियों अप्सराओं के संग,
बहुत रो रहे थे,
देवताओं परियों अप्सराओं को,
रोता हुआ देख,
धरती के लोगों ने,
शक्ति की रक्षा के लिए,
रक्षाबंधन उत्सव मनाया,

आज भी सावन में,
महीनों बारिश होती है,
और लोग शिव को,
कठिन से कठिन रूप में,
जलाभिषेक करने जाते हैं,
और शक्ति के धरती पर,
आने का अहसास,
दुनिया को तब होता है,
जब सावन का,
अंतिम दिन आता है,
रक्षाबंधन के रूप में !

क्या सावन के,
अंतिम दिनों में,
तुम्हारा जन्मदिन आना,
कोई इत्तेफ़ाक़ है,
या तू ही वो शक्ति है,
जिस से मुझे,
बचपन से भक्ति है !

क्या शिव ने प्रसन्न हो,
उसी अश्रु धारा से,
सर्व जन कल्याण वाले,
बारिश मास सावन का,
निर्माण किया !

मैं और मेरी आवारगी,
अक्सर अकेले में सोचते हैं,
सावन में बारिश क्यों होती है,
क्या आज भी परियां अप्सराएं, 
उसी शिव शक्ति के लिए,
सावन में पूरा महीना रोती हैं !

                            - अभय सुशीला जगन्नाथ 

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