मुक्कमल मुलाक़ात

तू तो आफताब है,
थोड़ी देर ठहरेगा ,
मुक्कमल मुलाक़ात की आस जगा,
यकायक से ढल जायेगा,
सितारें बिछ जाएंगे,
आसमान में चारों तरफ,
फिर शाम होगी,
और तू माहताब हो जायेगा !
मैं और मेरी आवारगी,
सज़दे में तेरे खो जाएंगे,
तू फिर एक बार,
खुदा सा शादाब हो जायेगा !

                     - अभय सुशीला जगन्नाथ

---------------------------------------------------

ख्वाबों में तुझसे मिलने का,
रोज़ यही सिलसिला है चलता,
रोज़ रोज़ मैं तुझसे हूँ मिलता,
पर मुझसे तू रोज़ नहीं मिलता

                    -  अभय सुशीला जगन्नाथ

Comments

Popular posts from this blog

राधा-कृष्ण ! प्रेम के सात वचन !

परी-सुरसुन्दरी, अप्सरा-देवांगना

बिन फेरे हम तेरे