मुक्कमल मुलाक़ात
तू तो आफताब है,
थोड़ी देर ठहरेगा ,
मुक्कमल मुलाक़ात की आस जगा,
यकायक से ढल जायेगा,
सितारें बिछ जाएंगे,
आसमान में चारों तरफ,
फिर शाम होगी,
और तू माहताब हो जायेगा !
मैं और मेरी आवारगी,
सज़दे में तेरे खो जाएंगे,
तू फिर एक बार,
खुदा सा शादाब हो जायेगा !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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ख्वाबों में तुझसे मिलने का,
रोज़ यही सिलसिला है चलता,
रोज़ रोज़ मैं तुझसे हूँ मिलता,
पर मुझसे तू रोज़ नहीं मिलता
- अभय सुशीला जगन्नाथ
थोड़ी देर ठहरेगा ,
मुक्कमल मुलाक़ात की आस जगा,
यकायक से ढल जायेगा,
सितारें बिछ जाएंगे,
आसमान में चारों तरफ,
फिर शाम होगी,
और तू माहताब हो जायेगा !
मैं और मेरी आवारगी,
सज़दे में तेरे खो जाएंगे,
तू फिर एक बार,
खुदा सा शादाब हो जायेगा !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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ख्वाबों में तुझसे मिलने का,
रोज़ यही सिलसिला है चलता,
रोज़ रोज़ मैं तुझसे हूँ मिलता,
पर मुझसे तू रोज़ नहीं मिलता
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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