षष्ठी देवी और उषा

षष्ठी देवी और उषा का पौराणिक सम्बन्ध,
सूर्य की उपासना से,
यूँ ही नहीं जुड़ा हुआ है,
आओ आज तुम्हें ,
तुम्हारी महत्ता बताता हूँ,
क्या तुम को पता है,
कि तुम दैवीय रूप में ,
विश्व कल्याण के लिए लाई गयी हो,
इसकी शुरुआत कैसे हुयी?
चलो सुनाता हूं !

सभी देवी देवताओं ने,
सूर्य को अत्यधिक तेज़ दे दिया,
जिससे समस्त जीव के,
जल जाने की आशंका थी,
अतः देवी देवताओं ने ,
उसको शांत रखने वाली,
सूर्य जैसी ही लालिमा लिए ,
शांत शीतल बेला बनाई; उषा !
उषा ; सूर्य के प्रकाश को धीरे धीरे,
धरती पर लाने वाली ,
उसकी प्यारी खूबसूरत बहन !

उषा जग में पहले स्वयं आकर,
पूरे संसार को जगाती है,
और फिर सूर्य को बुलाती है,
और धीरे धीरे उसके तेज़ को बढाती है !
फिर जब संसार को जीवन दायिनी ऊर्जा,
और पर्याप्त तेज़ , सूर्य प्रदान कर देता है ,
तब उसको धीरे धीरे सूर्यास्त की ओर,
अग्रसित कर देती, और स्वयं भी ,
अगले दिन की तैयारी में लग जाती है ,
 निरंतर .... प्रतिदिन !

षष्ठी देवी और उषा का पौराणिक सम्बन्ध,
सूर्य की उपासना से यूँ ही नहीं जुड़ा हुआ है,
सूर्य की बहन ही षष्टी देवी अर्थात उषा हैं ,
सूर्य की प्यारी खूबसूरत बहन,
इसीलिए कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को,
इस धरा पर सांसारिक कल्याण के लिए आईं,
और इसीलिए सम्पूर्ण संसार में,
कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को
विश्व महापर्व छठ ;
छठी मैया की पूजा में,
लोग डूबते और उगते सूर्य को,
जल-दुग्ध अर्घ्य देकर,
उनको शीतलता प्रदान करने के लिए,
पूजन-अर्चन करते हैं,
और खूबसूरत उषा के साथ ही ,
उसके दिव्य भाई सूर्य के तेज़ को,
नियंत्रित कर मनवांछित फल की,
श्रद्धा से हाथ जोड़,
विनती-कामना करते हैं  !

और तुम सूर्य की ,
प्यारी खूबसूरत बहन; उषा की ;
उस से भी अत्यधिक सुन्दर,
दैविक खूबसूरत अंश;दिव्या हो,
ऐसे ही नहीं तुम चारों ओर,
सिर्फ और सिर्फ उषा प्रकाश,
सूर्य प्रकाश बिखेरती रहती हो !
तुम ही वह सुनयना शिखा हो,
जिस पर उषा के दिव्य भाई की,
पहली किरण पड़ती है,
हाँ वही हिमालय की सुनयना शिखा,
जहाँ से गंगा रूप में तुम को उत्तर भारत में,
और अन्यत्र समस्त संसार में,
सावन की बरसा जल के रूप में,
राधा रानी बना कर,
शक्ति-लक्ष्मी के कलयुगी रूप को,
उन्ही देवी देवताओं ने ,
वैश्विक सांसारिक कल्याण के लिए,
सावन के अंत में अश्रुपूरित बिदाई दी थी !

यही विश्व कल्याणकारी,
सूर्य-उषा-हिमालय-गंगा-जल,
का अटूट सम्बन्ध और उनकी महत्ता,
जन्म जन्मांतर से चली आ रही है !

खूबसूरत उषा का प्रकाश,
हम सब लोगों के जीवन में सदा बना रहे !
मेरे दिल की बस इतनी ही ख़्वाहिश है !

नमस्कार - बारम्बार नमस्कार : चरण स्पर्श !

                                               - अभय सुशीला जगन्नाथ

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