गुलाब आपके बालों पे

कलियाँ, फूल, चमन, बहार,
फ़िदा तेरी इन चालों पे,
लगा जो सिर्फ एक खूबसूरत,
गुलाब आपके बालों पे,
और क़ातिल अदा से मुस्काना,
जैसे तलवार गिर रही ढालों पे,
फिर तौबा आपका शरमाना,
कि लाली आ गयी गालों पे,
आंखें हैं या इबादत गाह,
सजदे में जिनके मैं हूँ दीवाना,
कई सदियों से और सालों से,
नाज़ुक होठ हाय में डूबे हुए,
उड़ान बढ़ाती ख्यालों पे,
निशब्द ! मैं और मेरी आवारगी,
हुस्न के तेरे जमालों पे !!!

                                - अभय सुशीला जगन्नाथ 

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सादगी पर मेरी वो मरता है,
पर सजने का मन भी तो करता है,
क्या पता कहने से वो डरता है 

                                 -  अभय सुशीला जगन्नाथ

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रंग रहा हूँ,
देख तेरे रंग में,
धीरे धीरे,
आशिकी के संग में

                  -  अभय सुशीला जगन्नाथ

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लाल छड़ी,
तू क़ातिल बड़ी ,
जन्नत की परी,
डेविल पर भरी पड़ी ,
घडी दर घडी,
बेचैनी और बढ़ी,
करीं त अब हम का करीं ...

                          -  अभय सुशीला जगन्नाथ 

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