रगों में लहू
तू मेरे नसों में दौड़ रहा है लहू बन के ...
दिल की धड़कनो में,
महसूस कर मुझे,
हाथ की लकीरों में,
नहीं मिलूंगी तुझे ,
मैं तो दौड़ रही हूँ,
रगों में लहू बनके ...
- अभय सुशीला जगन्नाथ
--------------------------------------
आँखें तेरे इंतज़ार में बेहाल है....
तुमको हवा की पड़ी है
यहाँ एक बार में दो बार हो रहा है,
दुनिया को दवा की पड़ी है
- अभय सुशीला जगन्नाथ
दिल की धड़कनो में,
महसूस कर मुझे,
हाथ की लकीरों में,
नहीं मिलूंगी तुझे ,
मैं तो दौड़ रही हूँ,
रगों में लहू बनके ...
- अभय सुशीला जगन्नाथ
--------------------------------------
आँखें तेरे इंतज़ार में बेहाल है....
तुमको हवा की पड़ी है
यहाँ एक बार में दो बार हो रहा है,
दुनिया को दवा की पड़ी है
- अभय सुशीला जगन्नाथ
Comments
Post a Comment