रगों में लहू

तू मेरे नसों में दौड़ रहा है लहू बन के ...

दिल की धड़कनो में,
महसूस कर मुझे,
हाथ की लकीरों में,
नहीं मिलूंगी तुझे ,
मैं तो दौड़ रही हूँ,
रगों में लहू बनके ...

              - अभय सुशीला जगन्नाथ

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आँखें तेरे इंतज़ार में बेहाल है....
तुमको हवा की पड़ी है
यहाँ एक बार में दो बार हो रहा है,
दुनिया को दवा की पड़ी है

                          - अभय सुशीला जगन्नाथ

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