एक अधूरा वादा

मैं और मेरी आवारगी,
खो जाते हैं जब जब,
तेरी यादों में झिलमिल,
क्या तुझे पता है तब तब,
आज भी उन सीढ़ियों पर,
तेज़ धड़कते हैं दो दिल,
पहले प्यार का अहसास लिए,
पहली बार एक दूजे से मिल !

मैं और मेरी आवारगी,
जब जब तुमको ढूंढा किये,
अक्सर आंखे बंद कर,
तब तब तुझे बुला लिए,
उसी नीम पेड़ के नीचे,
पहले प्यार का पहला शब्द,
" आई लव यू " फिर से कह दिए,
और फिर इज़हारे मोहब्बत किये !

मैं और मेरी आवारगी,
अकेले होते हैं जब जब,
मेरी आँखों में आँखे डाले,
उसी रास्ते में तब तब,
तू चलती है करने शनासाई,
जिस रास्ते से हुयी थी,
एक दिन तेरी मेरी जुदाई,
और फिर मुलाक़ात का एक अधूरा वादा,
करके तेरी खूबसूरत आँखें,
फिर से लेते हैं मुझसे बिदाई !

जाने कब होगी, तुझसे मुलाक़ात,
जाने कब होगी, तेरी रहनुमाई
जाने कब होगा, पूरा वो अधूरा वादा,
खुदा जाने या तेरी खुदाई !

                       - अभय सुशीला जगन्नाथ 

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