आंवला और आँखों की बेक़रारी

हे कान्हा !
कुछ ऐसी है मेरी आँखों की बेक़रारी
ये देखती सबको है...
मगर ढूंढती हैं एक झलक तुम्हारी !

सुन मेरी राधा प्यारी !
तेरी आँखों की बेक़रारी,
दूर करेंगी आशिकी हमारी,
मोहब्बत इनसे बदस्तूर है जारी,
क्यूंकि बेक़रारी में भी दिल को मेरे,
क़रार देती हैं बेइंतेहा खूबसूरत आँखें तुम्हारी ...

                                               - अभय सुशीला जगन्नाथ

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एक हसीं परी आजकल,
धरती पर आकर,
मोहब्बत की बारिश कर रही है,
कुछ बूँदें हम पर भी इनायत हो,
तो हमने भी दिल कर दिया उनके हवाले,
ताकि कुछ नसीब हो हमें भी उस के प्याले,
जो बनाएं है उन्होने प्यार से हलवा-ए-आंवले

                                               - अभय सुशीला जगन्नाथ 

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