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Showing posts from February, 2020

बदगुमान दिल

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एक बार नहीं, कई बार, दोहराई गयी ये दास्तान, लिया होठों ने जब कभी, गलती से भी तेरा नाम, दिल बुरा मान बैठा नादान, धड़कन को बढ़ा कर उसने, दिखाया अपना रंग-ए-गुमान, फिर दौड़ाया लहू को उसने, तपते हुए रगों के दरम्यान, जिस्म और रूह सिहर उठे, जैसे हो कोई जंग-ए-मैदान, मैं और मेरी आवारगी सोचते रहे, दिल भी निकला कैसा बदगुमान                            - अभय सुशीला जगन्नाथ

दुबारा ज़बरदस्त इश्क़ !

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"" तेरे तलब में बेहद तलबगार हैं हम, कैसे कहें, तेरी ख़ातिर बेक़रार हैं हम ""                                                   - बेनाम इतने करीब होकर भी, क्यों बेक़रार है, अब रूह के मिलन का, शायद इंतज़ार है सदियों की प्यासी आँखें, तेरे जिस्म पर उतर गयी, जनमों से भटकती हुयी, पाक रूह से तेरे गुज़र गयी लाजवाब तो तू है , जिसका कोई जवाब नहीं, कहाँ से आई है तू, यकीन दिला तू ख़्वाब नहीं दिल की तन्हाई, तेरी जुदाई, मेरी शायरी, ख़ुदा की रुबाई !                    - अभय सुशीला जगन्नाथ --------------------------------------------------------------------------------------- मुझे तो दोनों बार ही ज़बरदस्त हुआ 😄😄😄 ताज्जुब की बात तो ये है की एक ही इंसान से दो बार ज़बरदस्त इश्क़ हुआ 😍 तू है ही इतनी प्यारी की बार बार इश्क़ करने को दिल करता है 😉

पुलकित है मन !

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पूर्ण हुआ संग उनके, पल दिन महीने मिलाकर, फिर और एक  वर्ष, पुलकित है मन तेरा, लिए उल्लाह और हर्ष, कभी थे तुम दोनों अनजाने, जाने क्यों लगने लगे, कई जनमो के जाने पहचाने, मिला जो एक बार दोनों का हाथ, फिर न छूटा कभी हाथों से हाथ, यूँ ही डाले बाँहों में बाँह, बनी रहे एक दूजे की चाह, कभी गम से, कभी खुशियों से, होता रहा दोनों का सामना, पर सजता रहा मन ही मन में, सुन्दर घर का एक हसीन सपना, कभी जो आई कोई भी कमी, एक दूजे के हाथों से पोंछी, दूसरे के आँखों की नमी और गमी, ले लो मेरे दिल की दुआए भी आज, खुशियों से रहे तेरा घर संसार आबाद, चलते चलते शादी की सालगिरह की, आप दोनों को बहुत बहुत मुबारकबाद                                         - अभय सुशीला जगन्नाथ