तेरे साथ हर पल
किसी ना किसी बहाने पकड़ ही लेता
मैं ही तुझे बुला कर लाया तो छोड़ कैसे देता
तू है तो सफर आसान सा है
मंज़िल भी साफ़ नज़र आती है
तू तो अकेले परेशान हो जाता
हाँ .... फिर मैं और मेरी आवारगी
आदत .....................इबादत
तू है तो सफर आसान सा है
मंज़िल भी साफ़ नज़र आती है
इससे पहले की गम मुझे घेरे
तू खुशियां नज़र कर जाती है
इससे पहले की गम की रात आये
तू खुशियों का सहर ले आती है
मेरी उषा की सुखदायी किरण
तू है तो सब है,
और वो सब तेरा है
- सब मेरा है,
और मैं तेरी हूँ
तुझ पर लिखना
और फिर तुझे सुनाना
बहुत अच्छा लगता है
दिन रात यूँ ही
तुझे शब्दों में पिरोने की
नाकाम कोशिश करती हूँ
- तुम्हारा मुझे जर्रे से आफताब बनाना
अच्छा लगता है
असफल प्रयास
कभी अपनी आभा
तू मुझ में महसूस कर देख
आग ही आग....
- इस आग में जल जाना
अच्छा लगता है,
तेरा मुझे जर्रे से आफताब बनाना
अच्छा लगता है
तू आफताब नहीं ....
एक पनाहगाह है ....
खुदा भी तेरे पास आकर,
सुकून से अपना अक्स देखता है
लगता है रात को ही नहाऊंगा
इस आग में जलकर
- ये तो तेरी तपिश का असर है
थोड़ी ओस की बूंदे गिरा दे
..... तपिश मेरी बुझा दे
- ओस की बूँद क्यों
मैं तो तेरे लिए दरिया बन जाऊं,
तू बुझा सकता है तो बुझा अपनी प्यास
ये दरिया कब मिलेगा, खुदा जाने
रोज़ बूँद पी लेता हूँ, इसी बहाने
- तू घूँट घूँट पिए जा,
यूँ ही अपनी प्यास जिए जा
आज तो उमड़ उमड़ कर बूंदें गिर रही हैं
बारिश का मेरी बुझाने का इंतज़ाम लगता है
- अब कितना लिखवाओगे
मस्त मस्त मस्त
- AWESOME MOMENT
तेरे साथ हर पल
बेइंतेहा खूबसूरत
और लाजवाब
- अभय सुशीला जगन्नाथ
मैं ही तुझे बुला कर लाया तो छोड़ कैसे देता
तू है तो सफर आसान सा है
मंज़िल भी साफ़ नज़र आती है
तू तो अकेले परेशान हो जाता
हाँ .... फिर मैं और मेरी आवारगी
आदत .....................इबादत
तू है तो सफर आसान सा है
मंज़िल भी साफ़ नज़र आती है
इससे पहले की गम मुझे घेरे
तू खुशियां नज़र कर जाती है
इससे पहले की गम की रात आये
तू खुशियों का सहर ले आती है
मेरी उषा की सुखदायी किरण
तू है तो सब है,
और वो सब तेरा है
- सब मेरा है,
और मैं तेरी हूँ
तुझ पर लिखना
और फिर तुझे सुनाना
बहुत अच्छा लगता है
दिन रात यूँ ही
तुझे शब्दों में पिरोने की
नाकाम कोशिश करती हूँ
- तुम्हारा मुझे जर्रे से आफताब बनाना
अच्छा लगता है
असफल प्रयास
कभी अपनी आभा
तू मुझ में महसूस कर देख
आग ही आग....
- इस आग में जल जाना
अच्छा लगता है,
तेरा मुझे जर्रे से आफताब बनाना
अच्छा लगता है
तू आफताब नहीं ....
एक पनाहगाह है ....
खुदा भी तेरे पास आकर,
सुकून से अपना अक्स देखता है
लगता है रात को ही नहाऊंगा
इस आग में जलकर
- ये तो तेरी तपिश का असर है
थोड़ी ओस की बूंदे गिरा दे
..... तपिश मेरी बुझा दे
- ओस की बूँद क्यों
मैं तो तेरे लिए दरिया बन जाऊं,
तू बुझा सकता है तो बुझा अपनी प्यास
ये दरिया कब मिलेगा, खुदा जाने
रोज़ बूँद पी लेता हूँ, इसी बहाने
- तू घूँट घूँट पिए जा,
यूँ ही अपनी प्यास जिए जा
आज तो उमड़ उमड़ कर बूंदें गिर रही हैं
बारिश का मेरी बुझाने का इंतज़ाम लगता है
- अब कितना लिखवाओगे
मस्त मस्त मस्त
- AWESOME MOMENT
तेरे साथ हर पल
बेइंतेहा खूबसूरत
और लाजवाब
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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