वक़्त को ठहराने की क़शिश

डरती हूँ हर बार कि ना आऊं
पर फिर तेरे साथ,
वक़्त को ठहराने की क़शिश
खींच लाती है मुझे,
कि शायद ये पल लौट के ना आये
और मैं यादों के धागे में,
कुछ मोती पिरोने से ना चूक जाऊँ...


-- दिल में गहराई तक उतर गयी
बस यूँ ही जो तुम ने कहा,
आजा मैं तुझे भी कुछ सुनाऊँ


एक एक पल जो तेरे साथ होती हूँ
आगे कि ज़िन्दगी के लिए,
यादों कि सौगात जोड़ती हूँ
तुम इतने पास आ गये हो
कि डर लगता है,
तेरे खोने का मुझे ....


-- कहीं नहीं जाऊंगा
बस आवाज़ दे देखना
फिर वहीँ लौट आऊंगा


तुम जानते हो,
मैं आवाज़ नहीं दे पाती,
ऐसे बंधन में बंधी हूँ,
कि तुम्हे छु भी नहीं पाती


-- आवाज़ नहीं भी देगी,
तब भी मैं आ जाऊंगा ,
तुझे छोड़ कर जान मेरी,
अब मैं कहा जाऊंगा,

आज फिर
तुम पर प्यार आया है
बेहद और बेहिसाब आया है





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