ये रात यूँ कटेगी !
आज फिर तेरी खुमारी में,
ये रात यूँ कटेगी,
तेरे संग बिताये लम्हो से,
यादो की बदली छंटेगी,
मैं और मेरी आवारगी,
तेरी उस उन्मुक्त हंसी,
और इस रात की तन्हाई में,
उस गुज़ारे पल की खुशियों से,
कुछ लम्हात उधार जो लायेंगे,
तो मेरे गम-ए-दिल की तन्हाई से,
दर्द -ए-गम की बदली छटेगी,
क्यूंकि उन यादों में,
फिर तू बिना बात मुस्कुराएगी,
फिर तू खुल कर हँसेगी !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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