ज़ुल्फ़ों से अँधेरा

ज़ुल्फ़ों को गिरा कर यूँ ,
ये अँधेरा किसने किया,
उनके दरम्यान उठती आँखों से,
ये सहर जिसने किया,
उनकी दिलकश अदाओं ने,
मुझ जैसे कई दीवानों पर,
कहर हर पहर किया !

                   - अभय सुशीला जगन्नाथ 




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