फिर तू बिना बात मुस्कुराएगी, फिर तू खुल कर हँसेगी !

आज फिर तेरी खुमारी में,
ये रात यूँ कटेगी,
तेरे संग बिताये लम्हो से,
यादो की बदली छंटेगी,
मैं और मेरी आवारगी,
तेरी उस उन्मुक्त हंसी,
और इस रात की तन्हाई में,
उस गुज़ारे पल की खुशियों से,
कुछ लम्हात उधार जो लायेंगे,
तो मेरे गम-ए-दिल की तन्हाई से,
दर्द -ए-गम की बदली छटेगी,
क्यूंकि उन यादों में,
फिर तू बिना बात मुस्कुराएगी,
फिर तू खुल कर हँसेगी ! 

                 - अभय सुशीला जगन्नाथ 

= मुमकिन नहीं आप को समझ पाना , 
जज्बाते गम लेकर हंसी को समुन्दर बना लेना=   
                                  
ग़म ए जज़्बात पर लफ्जो के ,
पत्थर ना चला ए जालिम ,
दिल ए नादान पर दरार पड़ी है ,
कहीं टूट कर बिखर ना जाए

                            - अभय सुशीला जगन्नाथ 

=खोज लाते हो नगमो को कहाँ से ,दर्द -ए -दिल गटक जाते हो तुम !
बवंडर को भी बयार बनाने वाले ए साहिल , कस्तियों को फिर क्यों डुबाते हो तुम !=

नगमे नहीं ,
ख्वाबों ख्यालों के है तराने ,
बवंडर ए तूफान से डूबती कश्ती को ,
जिस ने लगाया है साहिल के ठिकाने ,
उसी खेवया मांझी के ,
हसीन यादों के है अफसाने

                 - अभय सुशीला जगन्नाथ


Comments

Popular posts from this blog

राधा-कृष्ण ! प्रेम के सात वचन !

परी-सुरसुन्दरी, अप्सरा-देवांगना

बिन फेरे हम तेरे