Profession & Possession

K०V० / के०वी० से वैसे तो मेरा बहुत पुराना रिश्ता है,

जी हाँ केंद्रीय विद्यालय, आप लोगों का भी शायद हो !


परन्तु मेरे बहनों-भाइयों, मित्रों, जूनियरों और सीनियरों के साथ साथ, अनगिनत अध्यापकों का तो ज़रूर है, और यकीनन यह रिश्ता कुछ खट्टा, कुछ मीठा और कुछ तीखा भी है, परन्तु सब अविस्मरणीय !


आज के दिन "केंद्रीय विद्यालय" !, आप भी सोच रहे होंगे कि कहाँ रोमांस वाले #ValentineWeek के प्रथम दिन  #RoseDay को ये नहीं कि #Redroses की बात करें तो ये पढ़ाई लिखाई और केंद्रीय विद्यालय के पठन पाठन वाली भूमिका बताने में लगा है " Nincompoop " ! 


" Nincompoop ", हमारे आदरणीय एल० सी० चौबे सर का फेवरेट सिग्नेचर शब्द; यानि, पसंदीदा तकिया कलाम शब्द " निनकम्पूप ", इसका मतलब होता है " मूरख " परन्तु मैं ही नहीं सब लोग जानते हैं, आदरणीय, इस शब्द से हम बालक और बालिका को गदहा / गदही की तरह ही सम्बोधित करने के लिए उपयोग करते रहे होंगे, क्योंकि उस समय तक मोदी जी के मार्केटिंग वाले कर्मठ गदहों का गुजराती " गपास्टक " Concept नहीं हुआ करता था, यकीनन आज भी नहीं है, बस वो इक्का दुक्का को छोड़कर, जो सिर्फ "गुजरात" में ही पाए जाते हैं !


अरे हम निनकम्पूपगिरी नहीं कर रहे हैं भाई ! पृष्ठ भूमि तैयार कर रहे हैं ! दूसरे K०V० / के०वी० से परिचय करवाने के लिए, यह भी अविस्मरणीय ही हैं, बशर्ते कि आप एक बार इनको सुन लें या पढ़ ले ! अगर आप भी " दीवाना " न हो गए तो मुझे " पागल " घोषित कर दीजियेगा !


बहुत कुछ लोगों को, कुछ कुछ समझ में आ रहा होगा, जी हाँ सही पहचाना, वही 


"कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,

मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है ! 

मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है, 

ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !"


अपने प्यारे @कुमारविश्वास जी, यानि दूसरे K०V० / के०वी०,  इनसे भी कई लोगों का रिश्ता होगा, ओह्ह ! गलती से गलत मत समझ लीजियेगा, मेरा मतलब है इनकी कविताओं से रिश्ता होगा !


क्या लिखते है भाई साहब ! मन और आत्मा को प्यार के मार्मिक स्पर्श से भाव-विभोर करती लेखनी ! मैं तो इनका बहुत बड़े वाला " फैन " हूँ !


जब इनका ज़िक्र किया हूँ तब आप लोगों का मन भी पढ़ने में "खूब" लगने लगा होगा, और हो भी क्यों ना ,

 "खूब"सूरत गुफ्तगू की "खुश"बू जो मिलने लगी है, मन में जाने कितने पुराने यादों के खुशनुमा मंजर घूमने लगे होंगे और सोच रहे होंगे कि आज दिन भी है, माहौल भी है, और ये कुमार विश्वास का ज़िक्र भी कर रहा है, तो ज़रूर कुछ रोमांस से संबधित रोमांचक खिचड़ी पकने वाली है, बनारसी मित्र तो मंद मंद मुस्कुराने भी लगे होंगे कि


'आयS हायS ! चाय के चुस्की अउर तोहार मुस्की', का बात हौ गुरु ! चाँपिए द बस यही सब्जेक्ट पर !

गुरु अबहिन् के अईला मजेदार टॉपिक पर, अउर सुनावा रजा ! 


तS लS गुरु ! हमहू कहाँ पीछे हटे वाला हयी ! लिख के चाँपे में तS हमरो छोटहने से महारत हौ !


जी हां ! यहाँ भी आप लोगों का अंदेशा बिलकुल सही है,  रोमांस का ही रोमांचक टॉपिक है, कुमार विश्वास की कविता के तड़के के साथ, Valentine Week के Rose Day को प्रेम रुपी गुलाब संग कुछ दर्द के कांटें !


हुआ कुछ यूँ कि एक अत्यंत करीबी मित्र ने #कुमारविश्वास की कविता का एक वीडियो मुझे सुनने की लिए भेज दिया, शायद इसलिए क्यूंकि सुनने के बाद उनकी आँख डबडबा गयी थी, तो उन्होंने शायद मुझे भी रुलाने के लिए भेज दिया, और सही में मेरी आंखे भी नम हो गयीं ! क्या बताएं भाई ! बड़ा ही मार्मिक है, इंटरनेट लिंक भेजूँगा आप भी सुनियेगा !


कुमार विश्वास को ऐसे भावुक और दर्द के संग कविता पाठ करते, वह भी पब्लिकली ! आपने शायद ही सुना होगा !

अपने तथाकथित असफल प्रेम की पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए, एक जगह वह एक मजेदार और दिल को छू जाने वाली बात का ज़िक्र करते हैं कि 


एक बार अपनी बहुत सी कवितायेँ उन्होंने अपने और प्रेमिका के परिवार वालों को एक साथ सुनाईं, और जैसा कि प्रेम में अक्सर होता है, 

बाद में "सीढ़ियों पर प्रेमी-प्रेमिका की प्रश्नोत्तरी का खुशनुमा दौर", आप लोगों ने भी इस प्रश्नोत्तरी का ज़रूर आनंद लिया होगा, वैसे ही कुमार विश्वास साहब ने Evergreen & Popular '#LoversPoint',  'प्रेम अड्डा'; " सीढ़ी " पर प्रेमिका से जो प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम किया वह सुनिए, 

 

प्रेमिका से कुमार विश्वास ने पुछा कि " क्यों ? तुम्हे कैसी लगी कविता ? 

तो प्रेमिका ने तपाक से जवाब दिया " यह सब तो मेरी हैं ! कुछ अपनी हो तो सुनाओ !" 


वाह क्या बात है ! प्रेमी-प्रेमिका की रोमांटिक नोकझोंक वाली प्रश्नोत्तरीयों का ऐतिहासिक अड्डा " सीढ़ी " और ऐतिहासिक " कटाक्ष "

" यह सब तो मेरी हैं ! कुछ अपनी हो तो सुनाओ ! " 


यकीन मानिये यह कविता सुनने के बाद जाने क्यों अनायास ही मुझे प्रेम में, दुनिया की नज़र में असफल और गुमनाम आशिकों की अनगिनत कहानियां और उनके सुन्दर युवा चेहरे सामने आने लगे जिन्हे मैं जनता हूँ/था , आपको पहले कुमार विश्वास की उस कविता की वो अति भावुक पंक्तियाँ सुनाता हूँ, फिर उसके बाद आगे चांपेंगे  गुरु !


"कल तक जिन गीतों को, तुम अपना कहती थी,

अख़बारों में पढ़कर, कैसा लगता होगा,

सावन की रातों में, साजन की बाँहों में,

तन तो सोता होगा, पर मन जगता होगा !

उस पल सोचा मन में, आगे अब जीवन में,

जी लेंगे हंसकर, बिसार कर तुम्हें,

कितने एकाकी हैं, प्यार कर तुम्हें !

हार गया तन मन, पुकार कर तुम्हें,

कितने एकाकी है, प्यार कर तुम्हें !"


अब आप ही बताइये, यह लाइन पढ़ने-सुनने के बाद क्या आप का भी मन, यादों की किताबों से, अतीत के पन्ने नहीं पलटने लगा और आप भी क्या उन शख्सियतों की कहानी से रू-बरू नहीं होने लगे, फिर मेरा भी मन कहाँ गलत था , कुमार विश्वास साहब की लेखनी है ही जबरदस्त जो दिल को गहराइयों तक उतर छू जाती है , मर्मस्पर्शी !


और यदि मैं आगे यह कहूँ की पंक्तियाँ सच में चर्चित प्रेम कहानियों के अलावा, दुनिया की नज़र में असफल और गुमनाम अनगिनत प्रेम कहानियों पर बिलकुल फिट बैठती है, तो आप भी मानेंगे , परन्तु एक बात बताऊँ !


उनमे से कई को कुमार विश्वास साहब जैसे लिखने और सुनाने की कला नहीं आती, तो इसका यह मतलब थोड़े ही ना है कि उनका दिल ऐसी भावनाओं से अनभिज्ञ और अनजान होगा, और जिस किसी को लिखने और सुनाने आता भी है तो वह अपने में ही मस्त रहते हैं, एनी फ्रैंक के जैसे ! 


जी हाँ यह एक महत्वपूर्ण बात है, कई एनी फ्रैंक के " Dear Kitty " वाली डायरी लिखने टाइप के होते हैं !

एनी फ्रैंक हिटलर के समय के जर्मनी में, एक यहूदी बच्ची थी, जो जर्मनी के ही एक अंडरग्राउंड मकान में अपने परिवार के साथ छिपकर रहती थी. सो उसका कोई दोस्त न था, न कोई क्लासमेट.  अकेले उस समय के ज़ुल्म और अत्यचार के साथ साथ उसके साथ जो भी दिन प्रतिदिन जो होता था, वह रोज़ उस पिता की दी हुयी डायरी में लिखती थी, जिसका नाम उसने " Dear Kitty " रखा था,   ऐतिहासिक सच्ची कहानी है, अत्यंत मार्मिक, मौका मिले तो पढियेगा, शायद वह भी पढ़ कर आप रो दें !


आप भी कह रहे होंगे, कभी हंसाता है, और कभी रुलाता है ! खैर जाने दीजिये, आगे चलते हैं !


तो मैं वैसे लोगों की ही बात कर रहा था , जो ममर्स्पर्शी और रोमांटिक भी लिखते तो हैं, परन्तु, जगजाहिर नहीं करते, उनमे से  कई लोगों को तो मैं जानता हूँ जो बहुत ही बढ़िया और शानदार लिखते हैं, परन्तु अपनी उस लेखनी, कविता या शायरी को प्रेम की धरोहर मान और उसको आज भी अपनी / उसकी  ही जागीर समझ, सिर्फ अपने तक ही सिमित रखते हैं !


'Extrovert' ; बहिर्मुखी,  कुमार विश्वास के साथ साथ ,

'Introvert ' अंतर्मुखी , उन गुमनाम प्रेम कहानियों को सिर्फ महसूस करनेवालों ,

तथा शानदार और मर्मस्पर्शी लिखकर, परन्तु दिल से लगाकर रखने वाले उम्दा लेखकों को याद करते।।।। 


मैं और मेरी आवारगी !

और चलते चलते उनके लिए मेरी तरफ से 🌹 की चार पंखुड़ियां 

Poet and Writers ;

take it as 'Profession'...

Sweetheart & Lovers ; 

take it as 'Possession' !


लिखने वालों की एक खासियत होती है, शिकवा-शिकायत में उनका ज्यादा ज़ोर होता है, कुमार विश्वास साहब भी अपनी कविता में कुछ ऐसा भाव जाहिर और इज़हार कर रहे हैं , परन्तु कुछ ऐसे भी हैं जो उस प्रेम को प्रेरणा बना ; उस गुमनाम कहानी को दिल से लगाये, अब क्योंकि वह लिख नहीं सकते, परन्तु भावनाएं तो उफान पर होती ही हैं , तो चुप-चाप गुलज़ार साहब की पंक्तियों में ही बदलाव कर, एक दूसरे से अलग हो जाते हैं ;

.........लिखने वालों की एक खासियत होती है, शिकवा-शिकायत में उनका ज्यादा ज़ोर होता है, कुमार विश्वास साहब भी अपनी कविता में कुछ ऐसा भाव जाहिर और इज़हार कर रहे थे, परन्तु कुछ ऐसे भी हैं जो उस प्रेम को प्रेरणा बना ; उस गुमनाम कहानी को दिल से लगाये, चुप-चाप गुलज़ार साहब की पंक्तियों में ही बदलाव कर, एक दूसरे से अलग हो जाते हैं ; अब क्योंकि वह लिख नहीं सकते, परन्तु भावनाएं तो उफान पर होती ही हैं , तो पहले उस उफान से आये बदली हुयी लाइन को पढ़िए ................

कहीं किसी रोज़ यूँ भी होता, तुम्हारी हालत हमारी होती,

जो रात तुमने गुज़ारी मर के, वो रात हमने गुज़ारी होती !


Complete Submission, पूर्ण समर्पण ! गुलज़ार साहब की पंक्तियों में जो बदलाव है, ध्यान से उस भाव को समझियेगा ! 

उनकी ओरिज़नल वाली लाइन जाने बिना आप कंफ्यूज हो सकते हैं और शायद मेरी बात न समझ पाएं इसलिए ओरिज़नल लाइन भी पढ़ लीजिये 


कहीं किसी रोज़ यूँ भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती,

जो रात हमने गुज़ारी मर के, वो रात तुमने गुज़ारी होती !

 अभी भी नहीं समझ आया , तो "तुम्हारी और हमारी" या "तुमने और हमने" के हेरफेर से नज़्म में पैदा होने वाली गहराई को समझने के लिए इस नज़्म को पढ़िए 


हर शख्स ने होकर ख़फ़ा,

शब-ओ-रोज़ कहा उन्हें बेवफ़ा,

पर खुद को जब रक्खा वहाँ,

तब कहने लगा वही जहाँ,,,,,,

वक़्त ने ही ना किया जफ़ा,

वरना तो वो कल भी थे बावफ़ा,

और वो अबतलक हैं बावफ़ा 

अब आप शायद " शिकायत " और " समर्पण " के अंतर्भाव को कुछ समझ पाए होंगे !  


ऐसी ही पूर्ण समर्पण की भावना से ओत-प्रोत वो कहानियां, गुमनाम और दुनिया की नज़र में असफल प्रेम कहानियों में, शुमार हो जाती हैं !


अब आप सोच रहे होंगे असफल तो असफल ही होता है, फिर क्यों बार बार मैं " दुनिया की नज़र " में असफल शब्द इस्तेमाल कर रहा हूँ, 

अरे ! क्या मेरी नज़र में, और क्या दुनिया की नज़र में ! असफल तो असफल ही होता है !


जी नहीं ! मैं नहीं मानता , प्रेम कभी भी असफल नहीं होता, मेरे विचार से आपको एक बता दूँ , 

मैं प्रेम और प्रेम कहानी को कभी असफल मानता ही नहीं, मेरी नज़र में वह तो हमेशा से सम्पूर्ण थी और आज भी वैसी ही है, 

आज भी मन की किताबों में यादों की कलम से प्रेमी-प्रेमिका नित नए पन्ने उन पुरानी कहानियों में अनवरत लिखकर जोड़ते जा रहे हैं, और उसी प्रेम को जाने अनजाने कभी शिकवा कर और कभी दिल से लगाए , प्रेम को प्रेरणा बनाये , सफलता कि मंज़िल के तरफ चले जा रहे हैं , तब आप ही बताइये मैं कहाँ गलत हूँ ! 


ये लोS ! अब आप यह मत कहियेगा कि मुझे तो प्यार हुआ ही नहीं , तो मैं क्या जानूं ! मैने तो प्यार किया ही नहीं !


क्या बात कर रहे हैं ?, आप लोग भी ना अच्छा मज्ज़ाक कर लेते हैं ! नहीं ! तो चलिए फिर, आपकी कहानी आप जाने ?

मुझे तो ऐसे ऐसे लोग मिले , जिनको एक दो बार नहीं, बल्कि कई बार प्यार हुआ ! और आप कह रहे हैं कि हमको तो एक बार भी नहीं हुआ ! कई एक तो ऐसे हैं कि हर-एक से प्यार कर बैठे, यह बात और है कि उनसे किसी ने इकरार नहीं किया !

कई एक, पहले में तो असफल रहे, पर जब दूसरी बार इश्क़ किये, तो मिसाल कायम कर दिए, शायद पहले वाले का भी कसर दूसरे में ही निकालने लगे होंगे ! 


और एक और मजेदार बात, कईयों को तो कई दिनों/सालों बाद, दुबारा इश्क़ भी हुआ, तो उसी पुरानी पहली शख्सियत से !

है ना आश्चर्य करने वाली बात, पर क्या कीजियेगा, ऐसा इश्क़ में होता रहता है, और मेरी खुशनसीबी है कि मैं उनकी खूबसूरत कहानियों से टकराता भी रहता हूँ, और कहानीकार से मिलता भी रहता हूँ !

 

यूँ ही ,ऐसे ही, लोगों से मिलते-जुलते, घूमते-फिरते, सुनते-सुनाते  " मैं और मेरी आवारगी " भी, अपना रिसर्च और सर्वे दोनों करते रहे हैं, और दुनिया के प्रेम आधारित बहुत रिसर्च-सर्वे पढ़े भी हैं , जिसका यह निष्कर्ष निकला कि 90% ; नब्बे प्रतिशत लोग, आंखे-चार कर प्रेम किये हैं; और वह इस बात को स्वीकारते भी हैं, और बाकी जो बचे 10%; दस प्रतिशत हैं , वह शायद झूठ बोलते हैं  ;) ! 


Sometime  ,

Somewhere , 

Somehow , 

Everyone falls in Love ; 

with Someone ,

A " Special " Someone !


हाँ , चर्चित प्रेम कहानियों की ख़ासियत यह होती है कि वो दोनों ही लोग सेलिब्रिटी स्टेटस में होते है, मशहूर होते हैं  परन्तु गुमनाम मोहब्बत भी बड़ी नामी और शोहरत वाली होती है, परन्तु बस 'इज़हार-वो-इकरार' के बाद 'ताउम्र-करार' वाला भाग रह जाता है, और दोनों एक दूसरे को आँखों-आँखों में सब बयान कर, उस प्रेम और उसकी यादगार लम्हात को खूबसूरत मोड़ पर छोड़, दिल में खूबसूरत यादें सजाये, अपने अपने रस्ते चल पड़ते हैं , कुछ यूँ गुनगुनाते 

 

सजी नहीं बारात तो क्या, 

आई न मिलन कि रात तो क्या,

ब्याह किया तेरी यादों से, 

गठबंधन तेरे वादों से,

बिन फेरे हम तेरे, 

बिन फेरे हम तेरे ...


क्रमशः ..... आगे भी जारी .... To be continued ... on 14t February " Valentines Day " 


because ..... 

Love is 'Immortal' 

and its, 

Story is ''Eternal'


तब तक के लिए आप कुमार विश्वास जी को सुनिए https://youtu.be/Lvp4pFDyZ8E   


Happy Rose Day ! 





 

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