आधी रात
वो पहली नज़र,
मुलाक़ात वो पहली,
सुनयना की वो आँखें,
कुछ पैनी तीर सी यूँ चली,
झकझोर दिल की तरंगो को,
प्रेम की मचा गयी घनघोर खलबली,
दीवानगी को आतुर हो चला नादान दिल ,
छोड़ संयम और संजीदगी ! अच्छी भली !
मैं और मेरी आवारगी,
फिर आधी रात तो गुजारे,
याद करते तेरे सुन्दर नैनो की,
अल्लहड़ शोखियाँ कुछ मनचली,
जागते जागते, करवटे बदलते,
बाकी आधी रात कुछ यूँ ढली,
जैसे पहले प्यार की पहली शमा,
मुलाक़ात वो पहली,
सुनयना की वो आँखें,
कुछ पैनी तीर सी यूँ चली,
झकझोर दिल की तरंगो को,
प्रेम की मचा गयी घनघोर खलबली,
दीवानगी को आतुर हो चला नादान दिल ,
छोड़ संयम और संजीदगी ! अच्छी भली !
मैं और मेरी आवारगी,
फिर आधी रात तो गुजारे,
याद करते तेरे सुन्दर नैनो की,
अल्लहड़ शोखियाँ कुछ मनचली,
जागते जागते, करवटे बदलते,
बाकी आधी रात कुछ यूँ ढली,
जैसे पहले प्यार की पहली शमा,
परवाने सिरहाने पहली बार जली !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
Comments
Post a Comment