जलवा
जलवानुमा और भी हैं क़ायनात में,
पर आवारगी में आवारा नज़र,
बस तुझ पर ही आकर ठहर जाती है
- अभय सुशीला जगन्नाथ
जलवे हैं आपके दूर दूर तक
इस ज़मीन से आसमान तक
- अभय सुशीला जगन्नाथ
तुम क्या जानो
मोहब्बत क्या है
दिल की कसक
फ्रेंड रिक्वेस्ट से निकल जाती है
- अभय सुशीला जगन्नाथ
सब तो उनका ही दिया है
हमने तो बस नाम लिया है
हर लम्हा कर्ज़दार है उनका
मात पिता ने क्या कुछ न किया है
- अभय सुशीला जगन्नाथ
तेरी मुस्कान,
आज भी क्यों है,
बसी उस गुलदान,
आकर उसे भी बिखेर दो,
हवाओं में उस ज़िन्दगी की,
जिसमे अब ना रही,
सुगंध-ए-खुशनुमा मुस्कान !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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