आवारा आदत ...

 चुप चाप किये जाएंगे,

रब से भी ज्यादा,

तेरा सज़दा,

बिना तेरी इज़ाज़त ... 

कोई फल दे की न दे,

हमारी सलत, 

हमारी इबादत ... 

क्या करें मैं और मेरी आवारगी ?

इसकी यही,

आवारा आदत ...

             - अभय सुशीला जगन्नाथ 



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