दुख और वीरानी

 बहुमंजिला इमारतों वाले शहर में, 

दुख और वीरानी छाई है...

गांव की गलियों से गुजरा तो, 

हर मकान बोल उठा

               - अभय सुशीला जगन्नाथ


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नए महलनुमा घरों में अब वीरानी सी है,

बचपन के एक छोटे मकान की तो,

दरो-दीवारें भी मुझसे बात करती थी

                    - अभय सुशीला जगन्नाथ




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