प्रकृति

 सुन पंक्षियों का खिलखिलाता गीत,

और अद्भुत प्रकृति का मधुर संगीत,

अपनी धुन में मगन गुनगुना बह रही,

उन्मुक्त हँसी संग यादगार लम्हों में तू कहीं ...

                                            - अभय सुशीला जगन्नाथ


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