हिचकियाँ
कुछ दोस्त हमें इतना याद करते हैं,
कि जब भी कभी हम भोजन करते हैं,
तो अपने प्यारे बनारसी आशीर्वचनों से,
सालाS -बीच बीच में हिचकियाँ भरते हैं,
.........वाले दोस्ती निभाने में,
हम भी कम थोड़े ना हैं,
हर एक निवाले के संग,
हम भी इंतज़ार करते हैं,
पता तो चले भला वो यूँ,
कब बनारसी अंदाज़ में,
गरिया गरिया कर हमे,
दिल से याद करते हैं !
खाने के समय बनारसी आशिर्वचनों से सुसज्जित अलंकारों से हिचकी दिलाने वाले बनारसी
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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