कहीं किसी रोज़ यूँ भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती, जो रात हमने गुज़ारी मर के, वो रात तुमने गुज़ारी होती ! शायरों, कवियों, गीतकारों और अन्य लिखने वालों की एक खासियत होती है, शिकवा-शिकायत और उलाहनों में उनका ज्यादा ज़ोर होता है, कुमार विश्वास साहब भी अपनी कविता की लाइनों में कुछ ऐसा भाव जाहिर और इज़हार कर रहे थे, ओह्ह ! माफ़ कीजियेगा ! आप भी कह रहे होंगे, कुमार विश्वास की कौन सी कविता और कौन सी लाइन भाई ? यहाँ कुमार विश्वास की तो कोई लाइन नहीं है, यह तो गुलज़ार साहब की लाइन है तो आपको याद दिला दू , पिछले साल मैंने प्रेम करने वालों और लेखकों के Intorvert / अंतर्मुखी और Extrovert / बाह्यमुखी प्रकार होने पर एक पोस्ट लिखा था, #valentineweek के प्रथम दिन #roseday को , 'Extrovert' ; बहिर्मुखी, कुमार विश्वास के जैसे प्रेम कर लिखने और लोगों को सुनाने वाले लेखक..... तथा 'Introvert ' अंतर्मुखी , कुछ गुमनाम प्रेम कहानियों को बिना लिखे सिर्फ महसूस करनेवाले.... शानदार और मर्मस्पर्शी लिखकर और बिना लिखे, परन्तु दिल से लगाकर रखने वाले, उम्दा लेखकों को याद करते चार लाइनों से बात को एक अ...