गुलाब-रजनीगंधा बन
माली बन मैं एक घर,
बाग़ सा सजाऊंगा,
गुलाब-रजनीगंधा बन,
तुम उस आँगन को महकना 🌷
कभी गुलाब, कभी गेंदा, कभी चमेली तो कभी रजनी गंधा रूपी फूलों से जीवन और कविताओं को मह्काने पर
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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