Complete Submission, पूर्ण समर्पण

कहीं किसी रोज़ यूँ भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती,
जो रात हमने गुज़ारी मर के, वो रात तुमने गुज़ारी होती !
शायरों, कवियों, गीतकारों और अन्य लिखने वालों की एक खासियत होती है, शिकवा-शिकायत और उलाहनों में उनका ज्यादा ज़ोर होता है, कुमार विश्वास साहब भी अपनी कविता की लाइनों में कुछ ऐसा भाव जाहिर और इज़हार कर रहे थे,
ओह्ह ! माफ़ कीजियेगा !
आप भी कह रहे होंगे, कुमार विश्वास की कौन सी कविता और कौन सी लाइन भाई ?
यहाँ कुमार विश्वास की तो कोई लाइन नहीं है,
यह तो गुलज़ार साहब की लाइन है
तो आपको याद दिला दू , पिछले साल मैंने प्रेम करने वालों और लेखकों के Intorvert / अंतर्मुखी और Extrovert / बाह्यमुखी प्रकार होने पर एक पोस्ट लिखा था, #valentineweek के प्रथम दिन #roseday को ,
'Extrovert' ; बहिर्मुखी, कुमार विश्वास के जैसे प्रेम कर लिखने और लोगों को सुनाने वाले लेखक.....
तथा
'Introvert ' अंतर्मुखी , कुछ गुमनाम प्रेम कहानियों को बिना लिखे सिर्फ महसूस करनेवाले....
शानदार और मर्मस्पर्शी लिखकर और बिना लिखे, परन्तु दिल से लगाकर रखने वाले, उम्दा लेखकों को याद करते चार लाइनों से बात को एक अल्प विराम दिया था
Poet and Writers ;
take it as 'Profession'...
Sweetheart & Lovers ;
take it as 'Possession' !
कुछ याद आया... नहीं आया तो टाइमलाइन 7 फरवरी 2021 पर जाकर फिर से पढ़ लीजिये ,
और अब उस गंतव्य से #valantine #day पर आगे की कहानी...
चलिए अब, फिर से, शुरू से...
कहीं किसी रोज़ यूँ भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती,
जो रात हमने गुज़ारी मर के, वो रात तुमने गुज़ारी होती !
लिखने वालों की एक खासियत होती है, शिकवा-शिकायत में उनका ज्यादा ज़ोर होता है, कुमार विश्वास साहब भी अपनी कविता में कुछ ऐसा भाव जाहिर और इज़हार कर रहे थे,
परन्तु कुछ ऐसे भी हैं जो उस प्रेम को प्रेरणा बना ; उस गुमनाम कहानी को दिल से लगाये, चुप-चाप गुलज़ार साहब की पंक्तियों में ही बदलाव कर, एक दूसरे से अलग हो जाते हैं ;
अब क्योंकि वह लिख नहीं सकते, परन्तु भावनाएं तो उफान पर होती ही हैं , तो पहले उस उफान से आये बदली हुयी लाइन को पढ़िए....
कहीं किसी रोज़ यूँ भी होता, तुम्हारी हालत हमारी होती,
जो रात तुमने गुज़ारी मर के, वो रात हमने गुज़ारी होती !
Complete Submission, पूर्ण समर्पण ! गुलज़ार साहब की पंक्तियों में जो बदलाव है, ध्यान से उस भाव को समझियेगा !
गुलज़ार की ओरिज़नल वाली लाइन, फिर से पढ़े बिना, आप कंफ्यूज हो सकते हैं
और शायद मेरी बात न समझ पाएं इसलिए ओरिज़नल लाइन फिर से पढ़ लीजिये,
और "तुम्हारी और हमारी" या "तुमने और हमने" के हेरफेर से नज़्म में पैदा होने वाली गहराई को समझिये, न समझ आये तो इस नज़्म को पढ़िए
हर शख्स ने होकर ख़फ़ा,
शब-ओ-रोज़ कहा बेवफ़ा,
पर खुद को जब रक्खा वहाँ,
तब कहने लगा वही जहाँ...
वक़्त ने ही कर दिया जफ़ा,
वरना वो कल भी थे बावफ़ा,
और वो अबतलक हैं बावफ़ा
अब आप शायद " शिकायत " और " समर्पण " के अंतर्भाव को कुछ समझ पाए होंगे !
ऐसी ही पूर्ण समर्पण की भावना से ओत-प्रोत वो कहानियां, गुमनाम और दुनिया की नज़र में असफल प्रेम कहानियों में, शुमार हो जाती हैं !
अब आप सोच रहे होंगे असफल तो असफल ही होता है, फिर क्यों मैं " दुनिया की नज़र " में असफल शब्द इस्तेमाल कर रहा हूँ,
अरे ! क्या मेरी नज़र में, और क्या दुनिया की नज़र में ! असफल तो असफल ही होता है !
जी नहीं ! मैं नहीं मानता , प्रेम कभी भी असफल नहीं होता, मेरे विचार से आपको एक बता दूँ ,
मैं प्रेम और प्रेम कहानी को कभी असफल मानता ही नहीं, मेरी नज़र में वह तो हमेशा से सम्पूर्ण थी और आज भी वैसी ही है
आज भी मन की किताबों में यादों की कलम से प्रेमी-प्रेमिका नित नए पन्ने उन पुरानी कहानियों में अनवरत लिखकर जोड़ते जा रहे हैं,
और उसी प्रेम को जाने अनजाने कभी शिकवा कर और कभी दिल से लगाए , प्रेम को प्रेरणा बनाये , सफलता कि मंज़िल के तरफ चले जा रहे हैं,
तब आप ही बताइये मैं कहाँ गलत हूँ !
ये लोS ! अब आप यह मत कहियेगा कि मुझे तो प्यार हुआ ही नहीं , तो मैं क्या जानूं ! मैने तो प्यार किया ही नहीं !
क्या बात कर रहे हैं ?, आप लोग भी ना अच्छा मज्ज़ाक कर लेते हैं ! नहीं ! तो चलिए फिर, आपकी कहानी आप जाने ?
पर हाँ आप की कहानी तो कुछ ऐसी लगती है....
"आप इश्क़-ए-Integration समझाते रहे,
वो रस्क-ए-Differentiation बताते रहे !"
चलिए कोई नहीं ! एक मजेदार बात बताता हूँ !
मुझे तो ऐसे ऐसे लोग मिले , जिनको एक दो बार नहीं, बल्कि कई बार प्यार हुआ ! और आप कह रहे हैं कि हमको तो एक बार भी नहीं हुआ ! कई एक तो ऐसे हैं कि हर-एक से प्यार कर बैठे, यह बात और है कि न तो उन्होंने इक़रार किया और ना उनसे किसी ने इज़हार किया !
और सुनिए ! कई एक, पहले प्रेम में तो असफल रहे, पर जब दूसरी बार इश्क़ किये, तो मिसाल कायम कर दिए, शायद पहले वाले का भी कसर दूसरे में ही निकालने लगे होंगे !
और एक और मजेदार बात, कईयों को तो कई दिनों/सालों बाद, दुबारा इश्क़ भी हुआ, तो उसी पुरानी पहली शख्सियत से ! बेमिसाल !
है ना आश्चर्य करने वाली बात, पर क्या कीजियेगा, ऐसा इश्क़ में होता रहता है, और मेरी खुशनसीबी है कि मैं उनकी खूबसूरत कहानियों से टकराता भी रहता हूँ, और कहानीकार से मिलता भी रहता हूँ !
हाँ , चर्चित प्रेम कहानियों की ख़ासियत यह होती है कि वो दोनों ही लोग सेलिब्रिटी स्टेटस में होते है, मशहूर होते हैं परन्तु गुमनाम मोहब्बत भी बड़ी नामी और शोहरत वाली होती है, परन्तु बस 'इज़हार-वो-इकरार' के बाद 'ताउम्र-करार' वाला भाग रह जाता है, और दोनों एक दूसरे को आँखों-आँखों में सब बयान कर, उस प्रेम और उसकी यादगार लम्हात को खूबसूरत मोड़ पर छोड़, दिल में खूबसूरत यादें सजाये, अपने अपने रस्ते चल पड़ते हैं , कुछ यूँ गुनगुनाते
उनकी गलियों की "आवारगी" ने,
आशिक़ी में "आवारा" बना दिया,
दिल-ए-बेज़ार में फिर मैने भी,
गुरुर-ए-इश्क़ सा उन्हें सजा लिया,
जैसे पवित्र "गंगा" के किनारे,
स्वयंभू ने " बनारस " बसा लिया !
यूँ ही ,ऐसे ही, कुछ गाते गुनगुनाते लोगों से मिलते-जुलते, घूमते-फिरते, सुनते-सुनाते " मैं और मेरी आवारगी " भी, अपना रिसर्च और सर्वे दोनों करते रहे हैं, और दुनिया के प्रेम आधारित बहुत रिसर्च-सर्वे पढ़े भी हैं , जिसका यह निष्कर्ष निकला कि 90% ; नब्बे प्रतिशत लोग, आंखे-चार कर प्रेम किये हैं; और वह इस बात को स्वीकारते भी हैं, और बाकी जो बचे 10%; दस प्रतिशत हैं , वह शायद झूठ बोलते हैं, क्योंकि
Sometime ,
Somewhere ,
Somehow ,
Everyone falls in Love ;
with Someone ,
A " Special " Someone !
How it all started,
and how love begun,
How they were no more two,
But their heart and soul,
Became one, The Divine One
What is that, I can’t explain
How it goes, how it happen,
If it’s ‘Mystery’, it will remain,
But on this earth, it will repeat,
Again and again, again and again,
Again and again, again and again… - अभय सुशीला जगन्नाथ

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