CHS

 एक पहेली बूझेंगे ?

क्या आप बता सकते हैं ?

कि किसी बच्चे का सर्वांगीण ( Overall ) ! अरे वही ! आलराउंडर टाइप वाला, अगर विकास करना हो, तो उसको बनारस के किस स्कूल में पढ़ाएंगे ?

एक दम सही पकड़े हैं ,  CHS ( Boys ) 

नाम लेते ही,  अपने अपने बैच , और आगे पीछे जूनियर - सीनियर बैच में से,  एक से एक महान विभूतियाँ , आप सभी मित्रों के ज़ेहन में छा गयी होंगी !

क्या पढ़ाई और क्या लंठई , दोनों में एकदम अवल्ल , NUMERO Uno 

अबे Numero Uno ! डेनिम जीन्स या डेनिम शर्ट और जैकेट वाला नहीं , बोले तो Number One !


एक दम डायनामिक पर्सनालिटी बोले तो " भोकाली " व् " झक्कास " , 


नहीं समझ आया , चलिए एक और उदहारण देता हूँ ,

कभी स्कूल के विद्यार्थियों को आंदोलन करते हुए सुने और देखे हैं , नहीं ना 

तो कभी किसी से CHS के बारे में पूछियेगा , पूत ( नेता ) के पैर पालने ( CHS ) में ही नज़र आ जायेंगे !

CHS के खून में नेतागिरी का कीड़ा भी गज़ब का है , वैसे तो एनी बेसेंट ने इस स्कूल की स्थापन की, परन्तु मालवीय जी ने जब इसको गोद ले कर BHU से मिला लिया, तब इनकी नेतागिरी हो या फिर उच्चतम ज्ञान प्राप्ति कि विधा हो, दोनों ही कला में यहाँ के विद्यार्थियों को अवल्ल होना ही था 

अद्भुत हैं यहाँ के बच्चे.....

पढ़ाई में इनसे, कोई ना तेज़,

परन्तु 

लंठई से इनको, कोई ना गुरेज़ ! 

सेंट्रल हिन्दू स्कूल से मेरा भी रूहानी रिश्ता है, क्यूंकि मेरे स्वर्गीय पिताजी इसी स्कूल से पढ़े थे , शायद ६२ -६३ का समय था, फूटबाल के उम्दा खेल के कारण छात्रों और अध्यापको में उनकी अलग पहचान थी, उनके साथ ही पढ़े हुए केंद्रीय विद्यालय BHU के पी० टी० टीचर यादव जी को आप सभी जानते होंगे, मेरे पिताजी को सब " बालक " नाम से बुलाते थे,  

परन्तु आज कि कहानी दूसरे बालक की, तस्वीर में मौजूद उम्दा शख्सियत की.....

CHS  के कई मेरे अभिन्न मित्र है , उनमे से दो इस तस्वीर में हैं , 

आशीष राय "बॉक्सर" और मुकेश वर्मा "ब्लैक बेल्ट" , 

तीसरे हमारे अज़ीज़ मित्र डॉ मनोज पांडेय जी हैं , यह CHS के नहीं, मेरी ही तरह केंद्रीय विद्यालय वाले हैं ! 

मुकेश से और आशीष से मेरा परिचय BHU में हुआ , परन्तु इन दोनों के उम्दा व्यवहार और शांत चित्त स्वभाव के कारण मेरी प्रगढ़ता इन दोनों से अत्यधिक रही, मनोज जी भी कुछ कुछ उसी बात व्यवहार की शक्शियत हैं और अज़ीज़ मित्रों में से हैं !

पक्के महल के खांटी बनारसी,  मुकेश वर्मा जी का आज जन्मदिन है , दिल से उनके जन्मदिन पर बधाइयाँ , 

मुकेश जी के संग संग, CHS की मुझसे और मेरे दोस्तों से जुडी रंग बिरंगी कहानिया फिर कभी,

तब तक के लिए , ४ लाइने 


कल तलक यहाँ वीरानी थी,
एक अजीब सा सन्नाटा था,
जब उनकी महफ़िल सजी,
तब मैं और मेरी आवारगी समझे,
कि नादान दिल को क्या भाता था,,,
इन अल्फाजों को दिलों मे सज़ा लो,
क्योंकि इस महफ़िल में उनके बाद,
फिर से वही गुमसुम तन्हाई होगी,
जैसा कि पहले वीरान सन्नाटा था,,,,
तमन्नाओं की महफ़िल होगी,
सपनो का शहर ये होगा,
परन्तु इस मशरूफियत मे,
अक्सरहां उनके बिना,,,,
एक गुमनाम तनहा सफर होगा,
जिसकी न तो कोई शब होगी,
और ना ही कोई सहर होगा,,,, - अभय सुशीला जगन्नाथ


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