अंगना में कीन्च कान्च
अंगना में कीन्च कान्च, दुअरा पर पानी,
खाल-ऊँच गोड़ जाला, चढ़ल बा जवानी,,,
जब भी मैं यह लाइन, अपने इस भाई से मिलकर, उसको छेड़ते हुए गाता, तो वह व्यंग में अगली लाइन सुनाता था
वह व्यंग इसलिए सुनाता था, क्यूंकि हम #DLW ,#बनारस से, सिर्फ और सिर्फ गर्मी की छुट्टी में ही , अपने पुश्तैनी घर, रिविलगंज, छपरा (सारण) बिहार जाते थे, और बाद में तो जब दिल्ली आ गए तो यदा कदा ही गांव आना जाना होता था ,
तो आप उसके व्यंग को अब समझ गए होंगे
परन्तु इस गाने से और भाई से मेरा नाता , कुछ अलग इसलिए था, क्यूंकि इस से मिलने के बाद, लालू-नितीश के अलावा तीन लोगों पर ज़रूर बात होती थी
पहले "सम्पूर्ण क्रांति" के #जननायक जय प्रकाश नारायण, दूसरे " भोजपुरी के #शेक्सपियर ", भिखारी ठाकुर और तीसरे ऊपर वाली दोनों लाइन के रचयिता, "#पूरबिया के जनक" , महेन्दर मिसिर,
तीनो की तीनो विभूतिया , छपरा (सारण) के महान रत्न !
आज बात भाई के साथ साथ महेन्दर मिसिर की, जिनका जन्म 16 मार्च 1886, मिसिरवलिया गांव , प्रखंड जलालपुर, छपरा (सारण) में हुआ था !
जी हाँ वही महेन्दर मिसिर, जो अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ, नकली नोट छापने की मशीन से नोट छाप, आज़ादी के क्रांतिकारियों की मदद करने के जुर्म में जब जेल गए
तब, बनारस से लेकर कलकत्ता तक की तवायफें, अपने गहने तक उनकी जमानत के लिए उतार दिए !
जिस मुखबीर ने उनको जेल भिजवाया , उसके लिए पंडित जी ने दो लाइन कही
हंसी हंसी पनवा, खियवले गोपीचनवा,
पिरितिया लगा के भेजवले काहे जेल,
मेरे भाई ने बताया था कि भिखारी ठाकुर और महेन्दर मिसिर, दोनों समकालीन थे, और दोनों गीत-संगीत के दौरान मिलते भी रहे थे,
उसने इसका साक्ष्य भी दिया कि भिखारी ठाकुर की " #बिदेसिया " और महेन्दर मिसिर की " टुटही पलानी " में आपको सामान गायन शैली मिलेगी !
आप लोग भिखारी ठाकुर जी से तो बखूबी वाकिफ होंगे, परन्तु हो सकता है महेन्दर मिसिर जी को कम जानते होंगे , तो चलिए आपको उनके गीतों को आवाज़ देने वाली मशहूर भोजपुरी गायिका शारदा सिन्हा जी के कुछ मशहूर गीतों कि लाइन याद दिलाता हूँ
1 - पनिया के जहाज़ से पलटनिया बने अईहा पिया
लेले अईहा हो, लेले अईहा हो पिया सेंदुर बंगाल के।
............
2 - बनके गोदनहरी हो कान्हा, चलले जहवाँ रहेली राधा,
आ गउँवा में घूमी के कहे, हयी नन्द के ललनवा,
केहू गोदवाई का हो गोदानवा, अरे ! केहू गोदवाई का हो गोदानवा,,,,,,
अब शायद कुछ कुछ याद आया होगा , नहीं आया तो , बस अब यह आखिरी गीत,
और अब भी अगर महेन्दर मिसिर ज़ेहन में आपके ना छप गए तो समझ लीजियेगा,
भोजपुरी भाषा भारत में बोली ही नहीं जाती
क्यूंकि महेन्दर मिसिर का यह गीत, मेरे भाई के अनुसार, महेन्दर मिसिर को वैश्विक पटल पर स्थापित कर दिया
अंगूरी में डसले बिया नगिनिया रे
ए ननदी दियरा जरा दा,
पोरे पोरे उठे ला ज़हारिया रे,
ए ननदी भइया के बोला दाS
भोजपुरी साहित्य और संगीत में रूचि जगाने वाले मेरे #पत्रकार भाई गुड्डू राय के साथ साथ महेन्दर मिसिर को याद करते,
मैं और मेरी आवारगी,
यदि चलते चलते उस पृष्ठ-भूमि का ज़िक्र न करे, जिस कारण, आज मैं गुड्डू राय और महेन्दर मिसिर का ज़िक्र कर रहा हूँ ,
तो बात अधूरी रह जाएगी....
आज चैती छठ परब का आखिरी दिन है, जिसमे कल के उतरते सूरज-अर्घ्य के बाद आज उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जायेगा ,
हर साल चैती छठ के, आज ही के दिन, भाई गुड्डू राय का जन्मदिन होता है...
यह बात उसने मुझे तब बताया , जब 2016 के चैती छठ के दिन,
मैंने भाई को, अपने पुत्र " अभिमानादित " के जन्म की खुशखबरी सुनायी,
तब उसने बताया, कि चैती छठ को पहले अर्घ्य के बाद और दूसरे अर्घ्य की सुबह के बीच उसका भी जन्म हुआ था
चैती छठ परब की आप सभी को शुभकामनाएं , सूर्य देव और छठी मैया सबका कल्याण करें
- अभय सुशीला जगन्नाथ
फिर भी हर्फ़ चुनते हो , सिर्फ लफ्ज़ सुनते हो
इनके दरमयान क्या है, तुम न जान पाओगे ...
- अभय सुशीला जगन्नाथ
- अभय सुशीला जगन्नाथ
एक माँ की तीन थी बेटियां,
तीन के थे कई प्यारे-दुलारे,
पर तीनों को जो सबसे प्यारा,
आज माँ संग बन गया सितारा ...
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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