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Showing posts from June, 2022

हाथ में कलम, टेबल पर किताब

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  कागज़ की किश्ती लिए, बारिश का इंतज़ार करते, क्या पता ? उस गली के मोड़ पर, जवानी फिर बचपन से जा मिले... मैं और मेरी आवारगी ! इस फ़िराक़ में, रोज़ उसी गली के, सुनसान मोड़ पर, उसी सूनी खिड़की पर ... आवारा ! एकटक, निगाह गड़ाए... आवारगी करते रहते हैं ! DLW के क़्वार्टर की खिड़की से, हाथ में कलम, टेबल पर किताब, परन्तु चंचल मन की, अल्लहड़ चंचलता लिए, बचपन के एक दोस्त, एक बड़े भाई, और एक पड़ोसी, 'काशी' के 'काशी', की खिड़की तक, यादों की रहगुज़र से आवारा, यूँ ही गुज़रते... मैं और मेरी आवारगी ! - अभय सुशीला जगन्नाथ

फुल्ल बैक, फुटबॉलर पापा

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  " मैंने भगवान को देखा है। वह टेस्ट में भारत के लिए चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करता है " = मैथ्यू हेडेन " जब हम बड़े हो रहे थे तो हम सचिन (तेंदुलकर) को खेलते हुए देखते थे, वह हम सभी के लिए भगवान की तरह थे. उनके आसपास ऐसी चमक/आभा थी " = महेंद्र सिंह धोनी और इन सब और ऐसे वक्तव्यों की शुरुआत तब हुयी जब सचिन तेंदुलकर 90s के दौर में अपने चरम पर थे, या यूँ कहे जब वह पूरी भारतीय टीम का बोझ, अपने अकेले कंधे पर उठाया करते थे, बात उसी समय की है जब सचिन के आउट होने पर लोग टेलेविज़न बंद कर दिया करते थे, तब उन्ही दिनों, एक दिन दर्शक दीरघा में एक उनका प्रशंसक, एक पोस्टर / प्लेकार्ड लेकर खड़ा हुआ " अगर क्रिकेट हमारा धर्म है, तो सचिन हमारे भगवान हैं " हिंदी वाला शायद याद ना आ रहा हो क्योंकि वो पहला बैनर / प्लेकार्ड ही अंग्रेजी में था... " If Cricket is Religion, then Tendulkar is GOD ! " क्रिकेट, जिस खेल को 80s के पहले पूरा भारत शायद ही जानता हो, और पूरे भारत को वह खेल शायद ही नियम सहित खेलने आता हो, पर 1983 के कपिल देव के नेतृत्व वाली भारतीय टीम की ऐतिहासिक विश्व क

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः !

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  केंद्रीय विद्यालय, सेंट्रल स्कूल या छोटे में K०V० रग रग में बसा, एक एक पल, एक एक लम्हा, मेरे लिए चाहे, बी०एच०यू० वाला K०V० हो, या डी० एल० डब्ल्यू० वाला, हर जगह की यादें अमूल्य हैं, अमिट हैं ! आप में से भी कई लोग भारत के कोने कोने में फैले अन्य केंद्रीय विद्यालय में कहीं ना कहीं ज़रूर पढ़ाई पढ़े होंगे, या आस पास के मोहल्ले, शहर में देखे होंगे जो आपके मित्र-सहेली या अपने हम-उम्र या छोटे बड़े बालक-बालिका, जिनको आप स्कूल जाते देखे होंगे, और अगर ऐसा है तो आपकी भी कुछ यादें जरूर K०V० से जुडी होंगी I और हम K०V० वालों के साथ साथ आपको भी याद होगा, सुबह सुबह की वो प्रार्थना ! वो मॉर्निंग असेंबली ! ॐ असतो मा सदगमय । तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमय ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥ प्रार्थना की ये लाइनें और सुबह-सुबह के मॉर्निंग असेंबली वाले हर क्रियाकलापों की मेरे तो ज़ेहन में अमिट छाप सी है, और इस श्लोक का अर्थ भी लगभग सभी को पता ही होगा, खासकर केंद्रीय विद्यालय वालो को ! हे ईश्वर ! मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चल। मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चल। मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चल !