लमहे और लहरे
कुछ लमहे और लहरे,
बड़ी नज़ाकत से,
आपको छू कर गुज़र जाती है,
उस नज़ाकत में,
ख़ताओं का कहां पता चलता है,
जो किश्तियों संग सदियों सजा देने को,
कभी कभी यूँ ही उमड़ जाती हैं...
लहरों संग लम्हों ने खाता की थी,
किश्तियों संग सदियों ने सज़ा पाई है...
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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